भारत स्थित चीनी दूतावास ने दो साल से अधिक समय के बाद कोविड-19 वीज़ा नीति में बदलाव किया है, जिसके तहत सभी क्षेत्रों में दोबारा काम शुरू करने के लिए चीन लौटने के इच्छुक विदेशी नागरिकों और उनके परिजनों से वीज़ा आवेदन लिए जाएंगे. पर्यटन और निजी उद्देश्यों के लिए यह सेवा अब भी निलंबित रहेगी.
भारत की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है, जब नेपाल के विपक्षी दलों ने उन ख़बरों को लेकर असंतोष जताया है, जिसमें दावा किया गया था कि भारत सरकार उन क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियां कर रही है, जिन्हें नेपाल ने अपने नक्शे में शामिल किया है. नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी सीपीएन-यूएमएल द्वारा प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से सीमा मुद्दे पर अपना रुख़ रखने और लिपुलेख पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की गई है.
कोविड-19 लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों की वजह से विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए केंद्र सरकार ने सात मई से ‘वंदे भारत मिशन’ की शुरुआत की है, लेकिन इस मिशन की सूची में श्रीलंका का नाम न होने से वहां करीब दो महीनों से फंसे भारतीयों में नाराज़गी है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 850 तीर्थयात्रियों में से अधिकांश को भारत ले आया गया है और बाकी 250 के आसपास तीर्थयात्रियों को हालात में सुधार होने के बाद ही वापस लाया जा सकता है. ईरान में फंसे ये भारतीय पिछले साल दिसंबर में ईरान गए थे.
पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री पीर नूर-उल-हक़ क़ादरी ने बताया कि पाकिस्तान ने एक साल में 5,600 सिख तीर्थयात्रियों जबकि 312 हिंदू श्रद्धालुओं को वीज़ा दिया.
राजधानी काबुल के राजनयिक इलाके में ट्रक में हुआ शक्तिशाली बम धमाका. भारतीय दूतावास के सभी कर्मचारी सुरक्षित बताए जा रहे हैं.