लॉकडाउन: श्रीलंका में फंसे 2,400 से अधिक भारतीय, कहा- सरकार तब जागेगी जब कोई मर जाएगा

कोविड-19 लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों की वजह से विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए केंद्र सरकार ने सात मई से ‘वंदे भारत मिशन’ की शुरुआत की है, लेकिन इस मिशन की सूची में श्रीलंका का नाम न होने से वहां करीब दो महीनों से फंसे भारतीयों में नाराज़गी है.

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Security officials wear masks at Bandaranaike International Airport after Sri Lanka confirmed the first case of coronavirus in the country, in Katunayake, Sri Lanka January 30, 2020. REUTERS/Dinuka Liyanawatte/Files

कोविड-19 लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों की वजह से विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए केंद्र सरकार ने सात मई से ‘वंदे भारत मिशन’ की शुरुआत की है, लेकिन इस मिशन की सूची में श्रीलंका का नाम न होने से वहां करीब दो महीनों से फंसे भारतीयों में नाराज़गी है.

Security officials wear masks at Bandaranaike International Airport after Sri Lanka confirmed the first case of coronavirus in the country, in Katunayake, Sri Lanka January 30, 2020. REUTERS/Dinuka Liyanawatte/Files
श्रीलंका का अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: श्रीलंका में दो महीने से फंसे 2,400 से अधिक भारतीय कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग से लगातार संपर्क कर रहे हैं, क्योंकि अब तक उनकी वतन वापसी के लिए किसी उड़ान की घोषणा नहीं हुई है.

इस द्वीपीय देश में फंसे ये लोग पैसे की कमी होने से दुखी हैं. वे अपने परिवारों के पास लौटने को उत्सुक हैं, लेकिन उनकी वापसी के लिए किसी कार्यक्रम की अब तक घोषणा न होने से उन्हें अनिश्चितता की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.

भारत सरकार ने कोविड-19 लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों की वजह से विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए सात मई से ‘वंदे भारत मिशन’ शुरू किया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक श्रीलंका में फंसे कुछ भारतीय अपना धैर्य खो रहे हैं, अगर उन्हें वहां से नहीं निकाला जाता है तो कुछ लोगों ने तो जान देने की भी धमकी दी है.

वहां फंसे भारतीय पर्यटक महाराष्ट्र के पिंपरी-चिंचवाड़ निवासी महेश बासुदेकर ने कहा, ‘कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. मैं बहुत दुखी और असहाय महसूस कर रहा हूं. आत्महत्या करने का मन कर रहा है.’

उन्होंने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को टैग किया है. एक अन्य पर्यटक रितेश चौरसिया ने ट्वीट कर कहा, ‘दुख के दो महीने बीत गए फिर भी हमें निकालने के सरकार कोई कदम नहीं उठा रही. यहां पर दूतावास भी गैरजिम्मेदार है.’

उन्होंने कहा, ‘मेरी तरह कई भारतीय सदमे में हैं. हमें पता नहीं कि क्या करना है, कहां जाना है और किससे संपर्क करना है. हम सब निराश हैं. सरकार तभी जागेगी जब कोई मर जाएगा.

बासुदेकर ने कहा, ‘हम लगातार भारतीय दूतावास के संपर्क में हैं लेकिन उनके पास वही रटा-रटाया जवाब है कि आप लोगों को वापस भेजा जाएगा लेकिन कब किसी को पता नहीं.’

आगे बासुदेकर कहते हैं, ‘हमें दूतावास के अधिकारियों ने बताया कि भारत सरकार विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए एक मिशन शुरू किया है, लेकिन भारतीयों को वापस लाने वाले देशों की सूची में श्रीलंका का नाम नहीं है.’

मालूम हो कि अब तक जिन देशों के लिए उड़ानें निर्धारित की गई हैं, श्रीलंका उन देशों में शामिल नहीं है. श्रीलंका पर्यटन एवं विकास प्राधिकरण के अनुसार वैश्विक महामारी के चलते लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों की वजह से 2,400 से अधिक भारतीय श्रीलंका में फंसे हैं.

नोएडा निवासी तकनीकी विशेषज्ञ विनीता ने कोलंबो से समाचार एजेंसी पीटीआई को फोन पर बताया, ‘मैं दो महीने से कोलंबो में फंसी हूं. सीमित आर्थिक सहायता के साथ मैं इस देश में हर रोज जीवन के लिए संघर्ष कर रही हूं.’

वे कहती हैं, ‘मैंने इस संबंध में श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायोग से संपर्क किया है, लेकिन वहां से कहा गया है कि वतन वापसी के लिए भारत सरकार द्वारा अगले चरणों की घोषणा किए जाने तक इंतजार करूं. यह बहुत ही दर्दनाक और दिल तोड़ने वाला है.’

विजयपाल सिंह अपनी पत्नी के साथ व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर छुट्टी मनाने के लिए श्रीलंका गए थे और बच्चों को दादा-दादी के पास छोड़ गए थे. उनकी छुट्टियां उनकी इच्छा के विपरीत काफी लंबी हो गईं.

सिंह ने कहा, ‘हमने एक-दूसरे के साथ समय बिताने की योजना बनाई थी, इसलिए हमने बच्चों को अपने माता-पिता के पास छोड़ दिया. चार दिन का ब्रेक अब बच्चों से मिलने का एक लंबा इंतजार बन गया है.’

टूरिस्ट वीजा पर श्रीलंका गए सतेंद्र मिश्रा ने कहा, ‘अब तक श्रीलंका से लोगों को वापस ले जाने के लिए किसी योजना की घोषणा नहीं की गई है. यहां हम लोगों का एक समूह है तथा हमारी बचत खत्म होती जा रही है. हर सुबह जब हम जागते हैं तो लगता है कि आज कोई अच्छी खबर होगी, लेकिन अब तक कोई समाचार नहीं है.’

‘वंदे भारत मिशन’ के प्रथम चरण के तहत खाड़ी क्षेत्र और अमेरिका, ब्रिटेन, फिलीपींस, बांग्लादेश, मलेशिया तथा मालदीव जैसे देशों से 6,527 भारतीयों को वापस लाया गया है.

दूसरे चरण में सरकार कनाडा, ओमान, कजाकिस्तान, यूक्रेन, फ्रांस, ताजिकिस्तान, सिंगापुर, अमेरिका, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, कतर, रूस, किर्गिस्तान, जापान, कुवैत और इटली से लोगों को वापस लाएगी.

सरकार ने नेपाल, नाइजीरिया, बेलारूस, आर्मीनिया, थाईलैंड, आयरलैंड, जर्मनी, जॉर्जिया और ब्रिटेन से भी लोगों को वापस लाने की घोषणा की है.

चेन्नई निवासी रामकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘हमने श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग से संपर्क किया है. वे हमें वापस भेजने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे हैं. लेकिन अब तक कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है. जब तक उन्हें भारत सरकार से आदेश नहीं मिलता, वे क्या कर सकते हैं.’

लोगों को वापस लाने की सरकार की नीति के अनुसार वापसी के लिए आवश्यक कारण रखने वालों- जैसे गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, छात्रों और उन लोगों को वापस लाया जा रहा है जो संबंधित देश से निकाले जाने के खतरे का सामना कर रहे हैं.

भारत में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लागू है. इसके साथ ही सभी यातायात सेवाएं- सड़क, रेलवे, हवाई बंद हैं. देश में कोविड-19 के अब तक एक लाख से अधिक मामले सामने आए हैं और 3,163 लोगों की मौत हुई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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