टाटा-एयरबस विमान परियोजना महाराष्ट्र से गुजरात पहुंची, शिंदे सरकार विपक्ष के निशाने पर

केंद्र द्वारा टाटा-एयरबस विमान परियोजना 22,000 करोड़ रुपये की लागत से महाराष्ट्र के विदर्भ में स्थापित की जानी थी, लेकिन अब वह गुजरात में स्थानांतरित कर दी गई है. विपक्ष का आरोप है कि यह चौथी परियोजना है, जो महाराष्ट्र से गुजरात चली गई, ऐसा इसलिए हो रहा है, ताकि आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित की जा सके.

असम: अखिल गोगोई ने प्रधानमंत्री से सरकारी पेपर मिलों की नीलामी रोकने की अपील की

जेल में बंद असम के निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा ने वादा किया था कि राज्य में उसकी सरकार बनने पर वह पेपर मिलों को पुनर्जीवित करेगी. हालांकि नगांव पेपर मिल और कछार पेपर मिल की नीलामी के लिए नवीनतम नोटिस सभी वादों के लिए एक गंभीर झटका है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने उद्योगों को श्रम कानूनों से तीन साल की छूट देने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी

इस अध्यादेश को यदि केंद्र सरकार की मंजूरी मिल जाती है तो राज्य में श्रमिकों के स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति और ट्रेड यूनियनों, कॉन्ट्रैक्चुअल वर्कर और प्रवासी मजदूरों से संबंधित कई कानून निष्प्रभावी हो जाएंगे.

महाराष्ट्र: श्रमिकों की कमी से जूझ रहीं फैक्टरियों में 12 घंटे काम की मंजूरी

महाराष्ट्र श्रम विभाग के अनुसार, राज्य में 36,623 पंजीकृत कारखाने हैं जिनमें 28.54 लाख श्रमिक काम करते हैं. बुधवार तक उनमें से 5,458 कारखाने 2.41 लाख मजदूरों के साथ काम कर रहे हैं.

महाराष्ट्र की औद्योगिक इकाइयों को काम करने की अनुमति, गुजरात के सांणद में भी कुछ उद्योग शुरू

महाराष्ट्र में 13,448 औद्योगिक इकाइयों को अपना कामकाज बहाल करने की अनुमति मिली है, वहीं गुजरात के सांणद में वाहन उद्योगों ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है. यहां 50 प्रतिशत क्षमता के साथ काम हो रहा है.

अडाणी समूह को मिला 21 शहरों में सीएनजी, पीएनजी बेचने का लाइसेंस

अडाणी समूह की अडाणी गैस लिमिटेड को 13 शहरों में सीएनजी और पीएनजी वितरण का लाइसेंस स्वयं के स्तर पर मिला है जबकि अन्य शहरों के लिए उसे इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के साथ संयुक्त तौर पर मिला है.

भूजल के उपयोग की अनुमति केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दी जाए: संसदीय समिति

जल संसाधन संबंधी संसदीय समिति का विचार है कि बोतलबंद पानी के निजी उद्योगों को केवल व्यापारिक लाभ के लिए इस क्षेत्र का दोहन न करने देना सरकार की सबसे बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी है.