इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि भारत में वास्तविकता का मतलब भ्रष्टाचार, गंदी सड़कें और प्रदूषण है, जबकि सिंगापुर में इसका मतलब साफ सड़कें और प्रदूषण मुक्त वातावरण है. उन्होंने कहा कि युवाओं को समाज में बदलाव लाने की मानसिकता विकसित करनी चाहिए. जनता, समाज और राष्ट्र के हित को अपने व्यक्तिगत हित से ऊपर रखना सीखना चाहिए.
बीते अक्टूबर महीने में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत का संभावित कारण हरियाणा की मेडन फार्मास्युटिकल्स कंपनी की दवाओं को बताया गया था. इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने कहा कि इसने देश की दवा नियामक एजेंसी की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाई है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित एक प्रस्ताव में अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों के परिचालन की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की गई है. उसका कहना है कि ये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मानकों का खुला उल्लंघन कर कारोबार कर रही हैं.
अगर महज़ दो फीसदी बाज़ार हिस्सेदारी वाले अमेज़ॉन को ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0 कहा जा सकता है, तो फिर केंद्र सरकार को क्या कहा जाए जो एक तरफ सरकारी एकाधिकार रहे जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन और लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन की बिक्री के लिए विदेशी पूंजी को दावत दे रही है, दूसरी तरफ ऊर्जा और रेलवे जैसे रणनीतिक क्षेत्र में थोक भाव से निजीकरण को बढ़ावा दे रही है?
आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ के 5 सितंबर के संस्करण के लेख में भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस पर निशाना साधते हुए इसे ‘ऊंची दुकान, फीका पकवान’ क़रार दिया गया था. इसमें यह भी आरोप लगाया गया था कि इंफोसिस का ‘राष्ट्र-विरोधी’ ताकतों से संबंध है और इसके परिणामस्वरूप सरकार के जीएसटी तथा आयकर पोर्टल में गड़बड़ की गई है.
आरएसएस के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब संगठन से जुड़ी ‘पाञ्चजन्य’ पत्रिका सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस की आलोचना करने से जुड़े एक लेख से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख ने दूरी बना ली थी. पत्रिका ने लेख में जीएसटी और आयकर पोर्टल में आ रहीं गड़बड़ियों को लेकर इंफोसिस पर निशाना साधते हुए कहा था कि कंपनी टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ काम कर रही है.
आरएसएस से जुड़ी एक पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ के 5 सितंबर के संस्करण के लेख में भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस पर निशाना साधा गया था और इसे ‘ऊंची दुकान, फीका पकवान’ क़रार दिया गया था. इसमें यह भी आरोप लगाया गया था कि इंफोसिस का ‘राष्ट्र-विरोधी’ ताकतों से संबंध है और इसके परिणामस्वरूप सरकार के जीएसटी तथा आयकर पोर्टल में गड़बड़ की गई है.
इंफोसिस द्वारा विकसित जीएसटी और आयकर पोर्टलों में खामियों को लेकर आरएसएस से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ ने स्वदेशी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी पर हमला किया है और पूछा है कि क्या कोई ‘राष्ट्र-विरोधी’ शक्ति इसके माध्यम से भारत के आर्थिक हितों को आघात पहुंचाने की कोशिश कर रही है.
आयकर दाखिल करने के नया पोर्टल सात जून को शुरू किया गया था. यूज़र्स लगातार इस बात की शिकायत करते रहे हैं कि या तो पोर्टल अनुपलब्ध है या बेहद धीमी गति से काम कर रहा है. इसके मद्देनजर आयकर विभाग ने रेमिटेंस फॉर्म को मैनुअल तरीके से दाखिल करने की अनुमति दी है. साथ ही इलेक्ट्रॉनिक तरीके से फॉर्म जमा करने की तारीख को आगे बढ़ाया गया है.
इंफोसिस के अनाम कर्मचारियों के एक समूह ने कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलिल पारेख और मुख्य वित्त अधिकारी निलांजन रॉय पर लघु अवधि में आय और लाभ बढ़ाने के लिए अनैतिक व्यवहारों में लिप्त होने की शिकायत की है.
जन गण मन की बात की 53वीं कड़ी में विनोद दुआ मोदी सरकार के तीन साल और आईटी क्षेत्र में हो रही छंटनी पर चर्चा कर रहे हैं.