दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के हिस्से के रूप में ये दिशानिर्देश जारी किए, जहां एक मुस्लिम व्यक्ति ने अक्टूबर 2022 में एक हिंदू महिला द्वारा उसके ख़िलाफ़ दायर बलात्कार की शिकायत को रद्द करने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी. हालांकि, अदालत ने एफ़आईआर रद्द करने से इनकार कर दिया.
मामला तमिलनाडु के चेन्नई का है. मद्रास विश्वविद्यालय के एक दलित पीएचडी स्कॉलर को यहीं पढ़ने वाली छात्रा से प्रेम हो गया, जो कि ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. छात्रा ने अपने परिवार की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ शादी कर ली तो उनके पिता ने युवक पर केस दर्ज करा दिया. फिलहाल उन्हें रिहा कर दिया गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने और उनके द्वारा सामना की जाने वाली धमकियों या उत्पीड़न से संबंधित याचिकाएं या शिकायतें प्राप्त करने के लिए हर ज़िले में बनाए गए स्पेशल सेल के अस्तित्व के बारे में लोगों को जागरूक करने पर ज़ोर दिया.
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर में बीते 18 अप्रैल को हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों के एक समूह ने कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर इस युवक-युवती को घेर लिया था और युवक पर लव जिहाद का आरोप लगाया था. बाद में वाहिनी के सदस्यों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए दोनों को पुलिस को सौंप दिया था.
केरल में एक ईसाई महिला के माकपा की युवा इकाई डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) के एक मुस्लिम नेता के साथ विवाह करने से उस समय राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था, जब महिला के परिवारवालों के अलावा माकपा के एक नेता ने भी ‘लव जिहाद’ का आरोप लगाया था.
सुप्रीम कोर्ट के कहने पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने केरल में कथित लव जिहाद के मामलों की जांच करते हुए 11 अंतरधार्मिक शादियों की पड़ताल की थी. एजेंसी का कहना है कि किसी भी मामले में जबरन धर्म परिवर्तन नहीं हुआ है.