नए आईटी नियमों के तहत गूगल ने अपनी पहली मासिक पारदर्शिता रिपोर्ट दी है, जिसमें कहा है कि उसे स्थानीय क़ानूनों या व्यक्तिगत अधिकारों के कथित उल्लंघन को लेकर शिकायतें मिलीं, जिसके परिणामस्वरूप 59,350 सामग्रियां प्लेटफॉर्म से हटाई गईं.
दक्षिणपंथी संगठन बजरंग दल की शिकायत के आधार पर खुर्जा थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. आरोप है कि भारत के मानचित्र से लद्दाख और जम्मू एवं कश्मीर को भारत से बाहर दर्शाया गया था. हालांकि, ट्विटर ने सोमवार शाम तक इस नक़्शे को प्लेटफॉर्म से हटा दिया.
केंद्र सरकार की ओर से इस साल फरवरी में नए आईटी नियम लागू किए गए थे. इसके तहत भारतीय यूज़र्स की शिकायतों पर कार्रवाई के लिए सोशल मीडिया कंपनियों में मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति ज़रूरी है.
बड़े मीडिया घरानों के संगठन ने नए मीडिया नियमों को ‘अस्पष्ट और मनमाना’ क़रार देते हुए ठीक ही किया है, पर इसे यह भी समझना चाहिए कि परंपरागत मीडिया के डिजिटल प्लेटफॉर्मों और हालिया समय में आए डिजिटल समाचार मंचों के बीच अंतर करने की कोशिशें भी बचाव योग्य नहीं हैं.
मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथीलकुमार राममूर्ति की पीठ ने डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन और पत्रकार मुकुंद पद्मनाभन की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. इसके साथ ही संगीतकार टीएम कृष्णा की लंबित याचिका में भी इन नियमों का चुनौती दी गई है.
भारत ने नए आईटी नियमों को सोशल मीडिया के साधारण यूजरों को सशक्त बनाने वाला बताते हुए कहा कि विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद नए नियम तय किए गए हैं. उसने कहा कि नए आईटी नियमों के संबंध में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर जताई गई चिंताएं बिल्कुल वाज़िब नहीं हैं.
बीते दिनों नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने मुख्यधारा के टीवी मीडिया और इसके डिजिटल मंचों को नये आईटी नियमों से बाहर रखने की मांग की थी. इस पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि नियमों से कुछ को छूट देना उन डिजिटल समाचार प्रकाशकों के साथ भेदभाव होगा, जिनके पास पहले से टीवी या प्रिंट मंच नहीं है.
वीडियो: हाल ही में ट्विटर ने लोकप्रिय कार्टूनिस्ट मंजुल को एक ईमेल भेजकर कहा था कि उनके एकाउंट के ख़िलाफ़ भारत सरकार से शिकायत मिली है. भारत सरकार का मानना है कि उनके ट्विटर एकाउंट का कंटेंट भारत के क़ानूनों का उल्लंघन करता है. ट्विटर ने मंजुल को सुझाव दिया कि वे क़ानूनी सलाह ले सकते हैं और कोर्ट में सरकार के अनुरोध को चुनौती दे सकते हैं.
दिग्गज सोशल मीडिया मंचों और ऑनलाइन न्यूज़ मीडिया के साथ नये नियमों को लेकर विवादास्पद बहस ऐसे मौके पर हो रही है जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर सामने आई अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं. ऐसे में आलोचनाओं के दमन में लगी सरकार ने टेक कंपनियों से दो-दो हाथ कर खु़ुद को अपने ही बुने चक्रव्यूह में फंसा लिया है.
न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखे एक पत्र में कहा है कि यदि आईटी नियम, 2021 लागू होते हैं, तो इससे न केवल समाचार चैनलों या प्रसारकों का उत्पीड़न होगा, बल्कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का दमन और उल्लंघन भी होगा तथा इससे निष्पक्ष तरीके से समाचार रिपोर्टिंग भी बाधित होगी.