दिल्ली दंगा मामले में सामने आए दो वॉट्सऐप ग्रुप में से एक 'हिंदू कट्टर एकता ग्रुप' है, जहां 'मुल्लों को मारने' के दावे किए गए हैं. दूसरी ओर दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप में सीएए विरोधी प्रदर्शन, हिंसा न करने और संविधान में भरोसा रखने की बातें हुई हैं. दिल्ली पुलिस ने दूसरे ग्रुप के कई सदस्यों को दंगों का साज़िशकर्ता बताया है.
दिल्ली दंगा मामले में दायर एक चार्जशीट में दावा किया गया था कि 8 जनवरी को हुई एक बैठक में डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय हिंसा की योजना बनाई गई थी. पिछले दिनों एक अन्य आरोपपत्र में पुलिस ने इसे हटाते हुए कहा है कि सीएए विरोधी प्रदर्शन 2019 आम चुनाव में भाजपा की जीत से खोई ज़मीन पाने के लिए बड़े पैमाने दंगे करवाने की 'आतंकी साज़िश' का हिस्सा थे.
भाजपा नेता कपिल मिश्रा का दिल्ली दंगों से एक दिन पहले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह एक डीसीपी के बगल में खड़े होकर दिल्ली पुलिस को अल्टीमेटम देते हुए तीन दिनों के भीतर ज़ाफ़राबाद और चांदबाग की सड़कें ख़ाली कराने को कह रहे थे. ऐसा नहीं होने पर सड़कों पर उतरने की बात कही थी.
सीएए विरोधी प्रदर्शनों के लिए दर्ज एफआईआर में प्रदर्शनों को 'राष्ट्रविरोधी' और 'विश्वासघाती' बताना निष्पक्ष नहीं है. इसमें औपनिवेशिक प्रशासन द्वारा चलाए जाने वाले मुक़दमों की गूंज सुनाई देती है.
कैसे एक व्यक्ति, जिसे दंगों के मामले में अवैध हथियारों के साथ पकड़ा गया, को ज़मानत मिल सकती है, लेकिन जिनके पास ऐसा कुछ बरामद नहीं हुआ, वे अब भी सलाखों के पीछे हैं?
सफूरा ज़रगर जामिया मिलिया इस्लामिया में एमफिल की छात्रा हैं और जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की सदस्य हैं. दिल्ली पुलिस के अनुसार वे उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन का हिस्सा थीं, जहां बीती फरवरी में सड़क बंद कर देने के बाद दंगे शुरू हुए थे.
भगवा रंग की टी-शर्ट और कुर्ते पहने पांच से छह व्यक्तियों ने उस समय नारे लगाने शुरू कर दिए जब ट्रेन राजीव चौक स्टेशन पर रुकने ही वाली थी. ट्रेन से उतरने के बाद भी इन लोगों ने सीएए के समर्थन में और ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो...’ जैसे नारे लगाए. सीआईएसएफ के जवानों ने इन व्यक्तियों को रोककर उन्हें दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया.
वीडियो: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में अब तक 34 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. इनमें दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल भी शामिल हैं. दिल्ली के कई अस्पतालों में इस हिंसा में घायल हुए लोगों का इलाज चल रहा है. इस मुद्दे पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
दिल्ली पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान 11 लोगों की मौत के संबंध में मंगलवार को 11 प्राथमिकी दर्ज की है. दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया है कि उत्तरपूर्वी दिल्ली में स्थिति नियंत्रण में है. हालांकि कुछ हिस्सों से हिंसा की खबरें आ रही हैं. अब तक 20 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है और एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है.
दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाकों में हो रही हिंसा में अब तक एक पुलिसकर्मी समेत 10 लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं.
मस्जिद के आस-पास के दुकानों को भी लूटा गया. स्थानीय लोगों ने बताया कि लूटपाट करने वाले लोग उनके क्षेत्र के नहीं थे.
दिल्ली पुलिस का दावा है कि वे स्थिति को संभालने के लिए हिंसाग्रस्त इलाकों में अधिक फोर्स उतार रहे हैं हालांकि स्थिति संभलती हुई दिखाई नहीं दे रही है.
दिल्ली के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में से एक भजनपुरा में पहुंच कर जब द वायर ने स्थिति का जायजा लेना चाहा तो वहां मौजूद लोगों ने कैमरा चालू न करने की धमकी दी और कहा, 'हम बात करेंगे लेकिन हमारा चेहरा कैमरे में नहीं आना चाहिए.'
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली के मौजपुर-बाबरपुर-जाफराबाद इलाकों में भड़की हिंसा में एक पुलिसकर्मी समेत सात लोगों की मौत हो गई है. पुलिस ने हिंसा प्रभावित इलाकों में धारा 144 लागू कर दी है.
मेरे फोन से फोटो डिलीट करवाते हुए एक व्यक्ति ने कहा, 'अब समय आ गया है कि हिंदू कब्जा कर लें. बहुत हुआ.'