मामला रांची का है, जहां महीने में दूसरी बार ऐसी घटना हुई है. इससे पहले 11 नवंबर को डोरंडा में दो कश्मीरी व्यापारियों से मारपीट की गई थी और उन्हें जय श्रीराम और पाकिस्तान मुर्दाबाद कहने को मजबूर किया गया था. हालिया मामले में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का मामला. आरोप है कि बजरंग दल के सदस्यों ने ‘जय श्रीराम’ नहीं बोलने पर बीते 31 अक्टूबर को कपड़े बेचने वाले एक मुस्लिम शख़्स की कथित तौर पर लाठियों से पिटाई की.
फैक्ट चेक: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की घटनाओं के बाद से त्रिपुरा में बीते कुछ दिनों से मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर हिंसा के मामले सामने आ रहे हैं. इस बीच भगवा झंडा लिए लोगों के समूह में शामिल जय श्री राम का नारा लगा रहे एक पुलिसकर्मी के वीडियो को सोशल मीडिया पर साझाकर यह अफ़वाह उड़ाई जा रही है कि त्रिपुरा पुलिस मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए हिंदुओं की भीड़ की मदद कर रही है. हालांकि
बीते आठ अगस्त को दिल्ली के जंतर मंतर पर ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ नामक संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हिंसा का आह्वान किया गया था. कार्यक्रम के आयोजकों में से एक प्रीत सिंह पर सांप्रदायिक नारेबाज़ी का आरोप है.
आम आदमी पार्टी का दावा है कि उसके तिरंगे के रंग पक्के हैं. शुद्ध घी की तरह ही वह शुद्ध राष्ट्रवाद का कारोबार कर रही है. भारत और अभी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को राष्ट्रवाद का असली स्वाद अगर चाहिए तो वे उसकी दुकान पर आएं. उसकी राष्ट्रवाद की दाल में हिंदूवाद की छौंक और सुशासन के बघार का वादा है.
अयोध्या में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपने संबोधन में न अवध की ‘जो रब है वही राम है’ की गंगा-जमुनी संस्कृति की याद आई, न ही अपने गृहनगर कानपुर के उस रिक्शेवाले की, जिसे बीते दिनों बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम होने के चलते पीटा और जबरन ‘जय श्रीराम’ बुलवाकर अपनी ‘श्रेष्ठताग्रंथि’ को तुष्ट किया था.
आठ अगस्त को दिल्ली के जंतर मंतर पर ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ नामक संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भड़काऊ तथा मुस्लिम विरोधी नारेबाज़ी लगाने के मुख्य आरोपी भूपिंदर तोमर उर्फ़ पिंकी चौधरी ने मंदिर मार्ग थाने में आत्मसमर्पण कर दिया. दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 अगस्त को चौधरी को गिरफ़्तारी से अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था.
मध्य प्रदेश के उज्जैन ज़िले का मामला है. महिदपुर क़स्बा निवासी कबाड़ डीलर अब्दुल राशिद एक गांव गए थे. आरोप है कि वहां उन्हें धमकी दी गई कि क्षेत्र में कबाड़ का कारोबार बंद करें. जब वे गांव से निकले तो रास्ते में दो लोगों ने उन्हें रोक लिया और उनके साथ हाथापाई की. फ़िर कथित तौर पर ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए भी मजबूर किया.
उत्तर प्रदेश में ग़ाज़ियाबाद के लोनी में यह घटना बीते पांच जून को हुई. घटना से संबंधित वीडियो कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसमें बुलंदशहर निवासी अब्दुल समद सैफी को कम से कम दो आरोपियों द्वारा पीटते हुए देखा जा सकता है. इनमें से एक सैफी को मारता है और उनकी दाढ़ी काटने की कोशिश करता है.
पूर्वी चंपारण ज़िले के मेहसी थाना क्षेत्र के एक युवक मोहम्मद इजराइल का आरोप है कि दो जून को पड़ोस के एक गांव में अपने दोस्त से मिलने जाने के दौरान एक समूह ने उन्हें रोककर जय श्री राम का नारा लगाने को कहा. ऐसा न करने पर गाली-गलौज करते हुए बुरी तरह मारपीट की गई. उनका कहना है कि हमलावर बजरंग दल से संबद्ध हैं.
दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाकों में हुए दंगों के बाद कई परिवारों के सदस्य गुमशुदा हैं. परिजनों का आरोप है कि पुलिस इसे लेकर एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है और सरकार से भी उन्हें ज़रूरी मदद नहीं मिल रही है.
उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान मुस्तफ़ाबाद इलाके में पीड़ितों की मदद के लिए पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता भी डर से अछूते नहीं थे. एक ऐसे ही कार्यकर्ता की आपबीती.
वीडियो: 23 फरवरी से दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा की आग में अब तक 48 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हैं. मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश इस बारे में द वायर के डिप्टी एडिटर अजय आशीर्वाद, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी और जनचौक वेबसाइट के संवाददाता सुशील मानव से चर्चा कर रहे हैं.
दिल्ली की हिंसा का कोई ‘हिंदू’ या ‘मुस्लिम’ पक्ष नहीं है, बल्कि यह लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की एक घृणित सियासी चाल है. 2002 के दंगों ने भाजपा को गुजरात में अजेय बना दिया. गुजरात मॉडल के इस बेहद अहम पहलू को अब दिल्ली में उतारने की कोशिश ज़ोर-शोर से शुरू हो गई है.
झारखंड के सरायकेला खरसावां ज़िले में बीते 18 जून को चोरी के आरोप में तबरेज़ अंसारी नाम के युवक को भीड़ ने एक खंभे से बांधकर बेरहमी से कई घंटों तक पीटा था, जिससे उनकी मौत हो गई थी.