गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में बताया कि गैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम क़ानून (यूएपीए) के तहत 80 लोगों को दोषी ठहराया गया, जबकि 2019 में 34 लोगों को दोषी ठहराया गया था. यूएपीए के तहत ज़मानत पाना बहुत ही मुश्किल होता है और जांच एजेंसी के पास चार्जशीट दाख़िल करने के लिए 180 दिन का समय होता है.
‘कांस्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप’ के तत्वाधान में 108 पूर्व नौकरशाहों द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) पांच दशकों से अधिक समय से भारत की क़ानून की किताबों में मौजूद है और हाल के वर्षों में इसमें किए गए संशोधनों ने इसे निर्मम, दमनकारी और सत्तारूढ़ नेताओं तथा पुलिस के हाथों घोर दुरुपयोग करने लायक बना दिया है.
इस बीच केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया कि 2019 में ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम क़ानून यूएपीए के तहत 1,948 लोगों को गिरफ़्तार किया गया और 34 आरोपियों को दोषी ठहराया गया. एक अन्य सवाल के जवाब में बताया गया कि 31 दिसंबर 2019 तक देश की विभिन्न जेलों में 4,78,600 कै़दी बंद थे, जिनमें 1,44,125 दोषी ठहराए गए थे जबकि 3,30,487 विचाराधीन व 19,913 महिलाएं थीं.
सुप्रीम कोर्ट ने सात मई को कोरोना के मामले में अप्रत्याशित बढ़ोतरी पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकारों से उन क़ैदियों को तुरंत रिहा करने के लिए कहा था, जिन्हें पिछले साल ज़मानत या पैरोल दी गई थी. अदालत ने राज्य सरकारों को 23 जुलाई तक क़ैदियों की रिहाई में पालन किए गए मानदंडों की विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह यह सुनिश्चित करे कि पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए गए अभियुक्तों की कोविड-19 जांच की जाए और उनका परिणाम नकारात्मक आने पर ही न्यायिक हिरासत में भेजा गया.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश की जेलों में बंद 41.55 फीसदी क़ैदियों ने दसवीं कक्षा से कम तक ही पढ़ाई की है. 6.31 फीसदी क़ैदी ग्रेजुएट और 1.68 प्रतिशत पोस्ट-ग्रेजुएट हैं.
गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में बताया कि ओबीसी, एससी और अन्य श्रेणियों के क़ैदियों की अधिकतम संख्या उत्तर प्रदेश की जेलों में है, जबकि मध्य प्रदेश की जेलों में एसटी समुदाय की है. इसके अलावा देशभर की जेलों में कुल क़ैदियों में 95.83 फ़ीसदी पुरुष और 4.16 फ़ीसदी महिलाएं हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते मार्च महीने में कोरोना वायरस के मद्देनज़र जेलों में भीड़भाड़ को कम करने का निर्देश दिया था. राष्ट्रीय क़ानूनी सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 9,977 विचाराधीन क़ैदियों को रिहा किया गया.
कोरोनावायरस के चलते सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से जेल में बंद क़ैदियों की रिहाई के लिए एक पैनल गठित करने को कहा है. यह पैनल सात साल तक की सज़ा से संबंधित अपराधों के सज़ायाफ़्ता या इतने ही समय की सज़ा होने के अपराध के आरोपी विचाराधीन क़ैदियों की अंतरिम ज़मानत या पैरोल पर रिहाई के बारे में निर्णय देगा.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 20 मार्च तक यह बताने का निर्देश दिया है कि कोरोना वायरस के ख़तरे के मद्देनज़र स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने क्या क़दम उठाए हैं.
विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने राज्यसभा को बताया कि 341 भारतीय मछुआरे और 63 भारतीय नागरिक क़ैदी पाकिस्तान की जेलों में बंद माने जाते हैं.