कोरोनावायरस के चलते सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से जेल में बंद क़ैदियों की रिहाई के लिए एक पैनल गठित करने को कहा है. यह पैनल सात साल तक की सज़ा से संबंधित अपराधों के सज़ायाफ़्ता या इतने ही समय की सज़ा होने के अपराध के आरोपी विचाराधीन क़ैदियों की अंतरिम ज़मानत या पैरोल पर रिहाई के बारे में निर्णय देगा.
कोहिमा: कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर जेलों में भीड़ कम करने पर विचार करने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश अनुसार नगालैंड में 109 विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत पर विभिन्न जेलों से रिहा किया गया है.
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि न्यायालय के आदेश के बाद एक समिति का गठन किया गया और उसकी सिफारिशों के आधार पर अंतरिम जमानत एवं पैरोल पर कैदियों को रिहा किया गया.
नगालैंड राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस एस सेर्तो, प्रधान सचिव (गृह) अभिजीत सिन्हा और अतिरिक्त महानिदेशक (कारागार) रेनचामो पी. किकोन समिति के सदस्य हैं.
राज्यभर की 11 जेलों से विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि राज्य की जेलों में 1,450 कैदियों को रखने की क्षमता है और विचाराधीन कैदियों को रिहा किए जाने से पहले इनमें 537 कैदी थे.
समिति ने निर्देश दिया कि यदि कोई विचाराधीन कैदी मामले के तथ्यों से परिचित किसी गवाह या किसी व्यक्ति या मामले के पीड़ित को धमकाता है तो उसे तत्काल हिरासत में ले लिया जाएगा.
इसके अलावा उसने जेल प्राधिकारियों को कारागार में सामाजिक दूरी बनाए रखने के निर्देश दिए.
बता दें कि शीर्ष अदालत ने बीते 23 मार्च को केंद्र और सभी राज्य सरकारों को उच्चस्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया था, जो सात साल तक की सजा से संबंधित अपराधों में सजा भुगत रहे कैदियों या इतनी ही सजा होने के अपराध के आरोप में विचाराधीन कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार करे.
मालूम हो कि इससे पहले हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए राज्य के विभिन्न जेलों से अब तक 584 कैदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर तथा सजा पूरी करने पर रिहा किया था.
दिल्ली सरकार भी कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कैदियों को विशेष पैरोल और फर्लो का विकल्प देकर राजधानी की जेलों में भीड़ कम करने का फैसला किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)