जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी याचिका में दावा किया कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में धर्मांतरण-विरोधी क़ानूनों को अंतर-धार्मिक जोड़ों को ‘परेशान’ करने और उन्हें आपराधिक मामलों में फंसाने के लिए लागू किया गया है.
देवबंद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की प्रबंधन समिति के सालाना अधिवेशन में महमूद मदनी ने कहा, 'हमारा मज़हब, लिबास, तहज़ीब, खाना-पीना भी अलग है. और अगर आपको हमारा मज़हब बर्दाश्त नहीं है, तो आप कहीं और चले जाएं. वो ज़रा-ज़रा सी बात पर कहते हैं कि पाकिस्तान जाओ, भइया तुम्हें मौक़ा नहीं मिलेगा पाकिस्तान जाने का, हमें मिला था, हमने रिजेक्ट किया है. इसलिए हम नहीं जाएंगे, जिसको भेजने का शौक़ है वो चला जाए.'
उत्तर प्रदेश के देवबंद में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के सालाना अधिवेशन को संबोधित करते हुए संगठन के दूसरे धड़े के प्रमुख मौलाना महमूद असद मदनी ने शनिवार को कहा कि सरकार ने देश के मुसलमानों की मुश्किलों के प्रति आंखें मूंद ली हैं. संगठन ने आरोप लगाया कि देश के बहुसंख्यक समुदाय के दिमाग में भाजपा नीत सरकार के संरक्षण में ज़हर घोला जा रहा है.