हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना सोरेन के सार्वजनिक जीवन में आने के बाद यह आकलन शुरू हो गया है कि लोकसभा चुनाव में वे भाजपा के लिए कितनी बड़ी चुनौती बन सकती हैं. निगाहें इस ओर भी हैं कि इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कल्पना क्या झामुमो की खेवनहार बनेंगी.
हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को ऐसे समय में विपरीत परिस्थतियों का सामना करना पड़ा है, जब कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव हैं और इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. हालांकि, ऐसी स्थिति में निकाली जा रही झामुमो की 'न्याय यात्रा' को आदिवासी समुदाय का खासा समर्थन मिल रहा है.
झारखंड कांग्रेस प्रमुख राजेश ठाकुर ने कहा कि चंपई सोरेन को अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है. चंपई सोरेन ने कहा कि हमारा गठबंधन बहुत मज़बूत है. इसे कोई नहीं तोड़ सकता. मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ईडी द्वारा गिरफ़्तारी से ठीक पहले हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी को इस्तीफ़ा दे दिया था.
झारखंड में महागठबंधन और जन विरोध के बावजूद भाजपा बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रही. राज्य गठन के बाद हुए लोकसभा चुनावों के वोट शेयर का आकलन किया जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि झारखंड लंबे समय से इस परिणाम की ओर बढ़ रहा था. अब सवाल ये है कि क्या वे लोकसभा चुनाव में मिली हार के अनुभव से सीखते हुए चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं.
झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटों के लिए महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा और राजद ने किसी भी अल्पसंख्यक चेहरे को चुनाव मैदान में नहीं उतारा है.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी के छह विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए 11 करोड़ रुपये दिए गए थे. वहीं भाजपा ने आरोपों को निराधार बताते हुए मरांडी के ख़िलाफ़ मानहानि का केस करने की चेतावनी दी.
झारखंड में भूमि अधिग्रहण क़ानून में संशोधन के ख़िलाफ़ आदिवासी संगठनों, विपक्षी दलों तथा जनता का गुस्सा फूट पड़ा है. आरोप है कि कॉरपोरेट घराने तथा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार ने यह क़दम उठाया है.