जेएनयू की हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी पर छात्रों के प्रदर्शन के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित समिति का सुझाव है कि फंडिंग के लिए अन्य वैकल्पिक स्रोत खोजे जाने चाहिए.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजे गए पत्र में शिक्षक संघ ने लिखा है कि वॉट्सऐप से इम्तिहान लेने के प्रशासन के फ़ैसले से जेएनयू दुनिया भर के अकादमिक जगत में मज़ाक का पात्र बन जाएगा.
असंगत शिक्षण शुल्क के ख़िलाफ़ नई दिल्ली स्थित आईआईएमसी के छात्र बीते तीन दिसंबर से ही धरने पर बैठे थे. अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का अल्टीमेटम दिए जाने के बाद प्रशासन ने कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाने और फीस की समीक्षा करने की बात कही है. इसके साथ ही अगले आदेश तक सेकेंड सेमेस्टर की फीस जमा करने के सर्कुलर पर रोक लगा दी गई है.
जेएनयू में फीस बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध के बीच भारतीय जनसंचार संस्थान में भी फीस बढ़ाने को लेकर विरोध शुरू हो गया है. बीते 10 सालों में दोगुनी से अधिक बढ़ चुकी फीस को कम करने की मांग को लेकर संस्थान के छात्र पिछले तीन दिनों से धरने पर बैठे हैं.
जेएनयू कोई द्वीप नहीं है, वहां हमारे ही समाज से लोग पढ़ने जाते हैं. जो बात उसे विशिष्ट बनाती है, वो है उसके लोकतांत्रिक मूल्य. इनका निर्माण किसी एक व्यक्ति, पार्टी या संगठन ने नहीं, बल्कि भिन्न प्रकृति और विचारधारा के लोगों ने किया है. यदि ऐसा नहीं होता, तब किसी भी सरकार के लिए इसे ख़त्म करना बहुत आसान होता.
ऐसा क्यों है कि अलग-अलग जगहों से आने वाले बच्चे यहां आकर लड़ने वाले बच्चे बन जाते हैं? बढ़ी हुई फीस का मसला सिर्फ जेएनयू का नहीं है. घटी हुई आज़ादी का मसला भी सिर्फ जेएनयू का नहीं है.
अजीब बात है कि देश के प्रधानमंत्री लगातार पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की बात कह रहे हैं लेकिन 5000 बच्चों को पढ़ाने के लिए देश की सरकार के पास पैसा नहीं है.
वीडियो: दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में बीते तीन हफ्तों से फीस बढ़ोतरी को लेकर छात्र संगठनों का प्रदर्शन जारी है. इस मुद्दे पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी, द वायर के पत्रकार अविचल दुबे, आईसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एनसाई बालाजी और जेएनयू के छात्र अनिकेत सिंह के साथ चर्चा कर रही हैं.
जेएनयू शिक्षा और संघर्ष का अनूठा उदाहरण है. जेएनयू का यही अनूठापन वर्चस्वशाली ताकतों और कट्टरपंथियों की आंखों में खटकता है.
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, कांग्रेस सदस्य टीएन प्रतापन और बसपा के कुंवर दानिश अली ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान ये मुद्दा उठाया.
मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने फीस वृद्धि पर छात्रों के विरोध को लेकर उनसे और प्रशासन से बात करने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसमें यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर वीएस चौहान, एआईसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्त्रबुद्धे और यूजीसी के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन शामिल हैं.
ऐसे सामाजिक पारिवारिक परिवेश, जिसमें उच्च शिक्षा की कल्पना डॉक्टरी-इंजीनियरिंग के दायरे से पार नहीं गई और नौकरी से परे शिक्षा को देखना एक तरह से अय्याशी और दूर की कौड़ी समझा जाता था, जेएनयू ने समझाया कि ये एक साज़िश है- समाज के बड़े तबके को बराबरी महसूस न होने देने की.
उच्च शिक्षा का निजीकरण ऐसे सभी प्रावधानों को खत्म कर देगा,जिससे उस तक वंचित जमात पहुंच रहा था. अगर इस मुल्क को बचाना है तो पहले उच्च शिक्षा को बाज़ारीकरण से बचाना होगा.
नए फैसले के अनुसार, सिंगल रूम का किराया 200 रुपये जबकि डबल रूम का किराया 100 रुपये होगा. इसके साथ ही विश्वविद्यालय आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को सहायता मुहैया कराएगा.
फीस वृद्धि, कर्फ्यू के वक्त और ड्रेस कोड जैसी पाबंदियों को वापस लिए जाने की मांग करने वाले छात्रों पर की गई बर्बर पुलिसिया कार्रवाई की निंदा करते हुए जेएनयू शिक्षक संघ ने कुलपति के इस्तीफे की मांग की.