लोकसभा और राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 19 से 21 नवंबर के बीच- जब कुल 146 निलंबित सांसदों में से 54 को निलंबित किया गया था- दंडित सदस्यों द्वारा पूछे गए क्रमश: 132-132 प्रश्न दोनों सदनों से हटाए गए हैं.
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फरवरी महीने में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कर्नाटक में कहा था कि 'राज्य को सिर्फ भाजपा बचा सकती है.' इसकी आलोचना में माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने एक राष्ट्रीय अख़बार में आलेख लिखा था, जिसे लेकर भाजपा की केरल इकाई के महासचिव ने राज्यसभा सचिवालय और सभापति के पास शिकायत दर्ज करवाई थी.
मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में दिए गए आंकड़े बताते हैं कि पिछले 2018 और 2022 के बीच आईएएस, आईपीएस और भारतीय वन सेवा में की गई कुल 4,365 नियुक्तियों में ओबीसी से 695, एससी से 334 और एसटी समुदायों से 166 उम्मीदवारों को नियुक्त किया गया है.
केंद्र ने राज्यसभा में बताया है कि उसके पास ‘शेल कंपनियों’ के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जबकि सरकार ने 2018 और 2021 के बीच 2,38,223 शेल कंपनियों की पहचान की थी और 2017 में एक टास्क फोर्स का भी गठन किया था. आम तौर पर ‘शेल कंपनियों’ के तौर पर कर चोरी समेत अवैध गतिविधियों में शामिल कंपनियों को संदर्भित किया जाता है.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत केंद्र द्वारा 14 राज्यों को 6,157 करोड़ रुपये का बकाया देना बाकी है. इनमें 8 राज्य विपक्ष शासित हैं. लगभग 2,700 करोड़ रुपये अकेले पश्चिम बंगाल को देना बाकी है.
माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता, तटस्थता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए भारत के संविधान में संशोधन को लेकर एक निजी विधेयक पेश किया. संविधान (संशोधन) विधेयक-2022 में भारतीय चुनाव आयोग का एक स्थायी स्वतंत्र सचिवालय स्थापित करने की भी बात कही गई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में 2022-2023 के लिए मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. यह मौजूदा वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान से 25.51 फीसदी कम है.
माकपा नेता एलामारम करीम ने सभापति एम. वेंकैया नायडू को लिखे पत्र में पेगासस जासूसी मामले और केंद्र सरकार के कोविड-19 प्रबंधन से जुड़े प्रस्तावित संशोधनों को स्वीकृति न देने पर नाराज़गी जताई है. उन्होंने यह भी कहा कि यह एकतरफा कार्रवाई पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और अनैतिक है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज के प्रोफेसर राकेश कुमार पांडेय ने बुधवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि डीयू के एक कॉलेज के 20 सीटों वाले पाठ्यक्रम में 26 छात्रों को केवल इसलिए प्रवेश देना पड़ा क्योंकि उन सभी के पास केरल बोर्ड से 100 प्रतिशत अंक थे. पिछले कुछ वर्षों से केरल बोर्ड 'मार्क्स जिहाद' लागू कर रहा है. इस बयान पर सांसदों सहित छात्र संगठनों भी आपत्ति दर्ज करवाई है.