सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने एक कार्यक्रम में कहा कि दुर्भाग्य से आज भारत में कुछ राज्यपाल ऐसी भूमिका निभा रहे हैं, जो उन्हें नहीं निभानी चाहिए. उन्हें जहां सक्रिय होना चाहिए, वहां निष्क्रिय नजर आते हैं. सुप्रीम कोर्ट में उनके विरुद्ध दर्ज मामले उनकी संवैधानिक स्थिति की दुखद कहानी कहते हैं.
पिछले साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना इसे ग़ैरक़ानूनी ठहराने वालीं शीर्ष अदालत की एकमात्र जज थीं. उन्होंने अब कहा है कि जिस तरह से नोटबंदी की गई, वह सही नहीं था.
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नामों पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया पवित्र है और इसके साथ गरिमा जुड़ी हुई है. मीडिया को इस पवित्रता को समझना और पहचानना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस नवीन सिन्हा की सेवानिवृत्ति के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की है.
सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने जिन तीन महिला जजों की सिफ़ारिश की है, उनमें कर्नाटक उच्च न्यायालय की जस्टिस बीवी नागरत्ना, तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हिमा कोहली और गुजरात हाईकोर्ट की जज जस्टिस बेला त्रिवेदी शामिल हैं. जस्टिस नागरत्ना देश की पहली महिला सीजेआई बन सकती हैं. 19 मार्च 2019 को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष न्यायालय में कोई नियुक्ति नहीं हुई है.