सूत्रों ने बताया कि आंतरिक जांच समिति के सदस्य जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने एक अनुरोध पत्र जारी कर सीजेआई रंजन गोगोई को समिति के सामने आने को कहा था. उस अनुरोध पर वह यौन उत्पीड़न मामले में समिति के सामने पेश हुए.
सीजेआई यौन उत्पीड़न मामले में शिकायतकर्ता महिला ने कहा कि शुरुआत में मुझे लगता था कि जज निष्पक्ष जांच करेंगे लेकिन तीन सुनवाइयों के बाद लगा कि जज मेरी शिकायत को संवेदनशीलता से नहीं बल्कि शक की नजरों से अधिक देखते हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और हाईकोर्ट इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.
सीजेआई रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोपों को प्रकाशित अथवा प्रसारित करने से मीडिया पर तब तक तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है, जब तक तीन न्यायाधीशों वाली जांच समिति किसी नतीजे तक नहीं पहुंच जाती है.
सीजेआई रंजन गोगोई पर सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. एक वकील ने इस आरोप के पीछे साज़िश होने का दावा किया था. जस्टिस एके पटनायक का कहना है कि जब तक आंतरिक जांच पूरी नहीं हो जाती, वे साज़िश के दावों की जांच शुरू नहीं करेंगे.
सीजेआई रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर रही समिति को लिखे पत्र में शिकायतकर्ता ने कहा कि मुझे केवल तभी न्याय मिल सकता है जब निष्पक्ष और पारदर्शी सुनवाई का मौका दिया जाए.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर 250 से अधिक महिला वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि ने पत्र लिखकर कहा है कि इस मामले में सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट ने सीधे-सीधे विशाखा गाइडलाइन्स का उल्लंघन किया है.
सीजेआई रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी के यौन उत्पीड़न के आरोपों को वकील उत्सव बैंस ने साज़िश कहा था. जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने इस सिलसिले में इन तीनों संस्थाओं के प्रमुखों को बुलाया है.
सीजेआई रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न की जांच के लिए गठित इस समिति में जस्टिस एसए बोबडे के अलावा जस्टिस एन वी रमन और जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी हैं.