सीजेआई के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच जस्टिस एसए बोबडे करेंगे

सीजेआई रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न की जांच के लिए गठित इस समिति में जस्टिस एसए बोबडे के अलावा जस्टिस एन वी रमन और जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी हैं.

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सीजेआई रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न की जांच के लिए गठित इस समिति में जस्टिस एसए बोबडे के अलावा जस्टिस एन वी रमन और जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी हैं.

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जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एन वी रमन (फोटोः लाइवलॉ/रुद्रज्योतिनाथरे डॉट कॉम)

नई दिल्लीः चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज न्यायमूर्ति एसए बोबडे को नियुक्त किया गया.

जस्टिस बोबडे ने इसकी पुष्टि की. वरिष्ठता क्रम के मुताबिक जस्टिस एसए बोबडे सीजेआई के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं.

उन्होंने बताया कि नंबर दो जज होने के नाते चीफ जस्टिस ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा उनके (सीजेआई) ख़िलाफ़ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरापों की जांच के लिए नियुक्त किया है.

न्यायमूर्ति बोबडे ने बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के दो जजों न्यायमूर्ति एन वी रमन और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी को शामिल कर एक समिति गठित की है.

न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, ‘मैंने समिति में न्यायमूर्ति रमन को शामिल करने का फैसला किया है क्योंकि वह वरिष्ठता में मेरे बाद हैं और न्यायमूर्ति बनर्जी को इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि वह महिला न्यायाधीश हैं.’

उन्होंने कहा कि उन्होंने सीजेआई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए जजों को पत्र लिखने वाली महिला को पहले ही नोटिस जारी कर दिया है.

इस मामले में पहली सुनवाई शुक्रवार को होगी और सुप्रीम कोर्ट के महासचिव को भी सभी दस्तावेजों और सामग्री के साथ तैयार रहने के लिए कहा गया है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट के 22 जजों को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने अक्टूबर 2018 में उनका यौन उत्पीड़न किया था.

35 वर्षीय यह महिला अदालत में जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के पद पर काम कर रही थीं. उनका कहना है कि चीफ जस्टिस द्वारा उनके साथ किए ‘आपत्तिजनक व्यवहार’ का विरोध करने के बाद से ही उन्हें, उनके पति और परिवार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

हालांकि, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के ख़िलाफ़ शीर्ष अदालत की पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को ‘झूठा और मनगढ़ंत’ बताते हुए उनकी निंदा की थी.

बीसीआई ने यह भी कहा था कि पूरा बार सीजेआई और ‘संस्था की प्रतिष्ठा ख़राब करने की इस कोशिश’ के ख़िलाफ़ खड़ा है.

सीजेआई के ख़िलाफ़ लगे इन आरोपों को बीते शनिवार को द वायर, स्क्रॉल, द कारवां और द लीफलेट द्वारा रिपोर्ट किया गया था.

इन आरोपों के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक ब्लॉग में सीजेआई का बचाव करते हुए कहा था कि यह न्यायपालिका के साथ खड़े होने का समय है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)