31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे. यह मामला 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के आज़ाद मार्केट स्थित गुरुद्वारा पुल बंगश में भीड़ द्वारा आग लगाने और तीन लोगों की मौत से संबंधित है. टाइटलर पर भीड़ को उकसाने का आरोप है.
यह मामला 1984 के दंगों के दौरान दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में सिख समुदाय के सात लोगों की हत्या से जुड़ा हुआ है. हालांकि सज्जन कुमार अभी जेल में ही रहेंगे, क्योंकि उन्हें 1-2 नवंबर 1984 को पालम कॉलोनी के राजनगर पार्ट-वन में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-टू में एक गुरुद्वारे को जलाने के मामले में 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.
31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे. यह मामला 1 नवंबर 1984 को राष्ट्रीय राजधानी के आज़ाद मार्केट स्थित गुरुद्वारा पुल बंगश में भीड़ द्वारा आग लगाने और तीन लोगों की मौत से संबंधित है. टाइटलर पर भीड़ को उकसाने का आरोप है.
वीडियो: 2014 के बाद गुजरात दंगे के आरोपियों की लगातार रिहाई में एक पैटर्न दिखता है. साल 2022 में इस मामले में नरेंद्र मोदी को भी क्लीन चिट मिली, सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल दंगों के 9 केस में से 8 बंद करने का आदेश दिया. ऐसे में क्या यह कहना उचित है कि गुजरात दंगों के लिए न्याय देने की कोशिश कभी नहीं की गई?
गुजरात में अहमदाबाद के नरोदा गाम में 28 फरवरी 2002 को सांप्रदायिक दंगे के दौरान 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में 86 आरोपी बनाए गए थे, जिनमें गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी भी शामिल थे. नरोदा गाम में नरसंहार उस साल के नौ बड़े सांप्रदायिक दंगा मामलों में से एक था.