1984 सिख दंगा: पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को अदालत ने एक मामले में बरी किया

यह मामला 1984 के दंगों के दौरान दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में सिख समुदाय के सात लोगों की हत्या से जुड़ा हुआ है. हालांकि सज्जन कुमार अभी जेल में ही रहेंगे, क्योंकि उन्हें 1-2 नवंबर 1984 को पालम कॉलोनी के राजनगर पार्ट-वन में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-टू में एक गुरुद्वारे को जलाने के मामले में 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.

सज्जन कुमार. (फाइल फोटो: पीटीआई)

यह मामला 1984 के दंगों के दौरान दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में सिख समुदाय के सात लोगों की हत्या से जुड़ा हुआ है. हालांकि सज्जन कुमार अभी जेल में ही रहेंगे, क्योंकि उन्हें 1-2 नवंबर 1984 को पालम कॉलोनी के राजनगर पार्ट-वन में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-टू में एक गुरुद्वारे को जलाने के मामले में 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.

सज्जन कुमार. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के दंगों के दौरान सुल्तानपुरी इलाके में सिख समुदाय के सात लोगों की हत्या से जुड़े एक मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को बीते बुधवार (20 सितंबर) को बरी कर दिया.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, सज्जन कुमार ने कथित तौर पर दंगों के दौरान भीड़ को उकसाया था, जिसके कारण हत्याएं हुईं. मामले की सुनवाई बुधवार को राउज़ एवेन्यू में विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल की अदालत में हुई.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि कुमार को इस मामले में बरी कर दिया गया है, लेकिन वह तिहाड़ जेल में ही रहेंगे, क्योंकि उन्हें 1-2 नवंबर 1984 को पालम कॉलोनी के राजनगर पार्ट-वन में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-टू में एक गुरुद्वारे को जलाने के मामले में 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

कुमार के खिलाफ 2010 में कड़कड़डूमा अदालत में सुल्तानपुरी मामले में आरोप तय किए गए थे. सीबीआई ने 2005 में जस्टिस नानावती आयोग की सिफारिशों पर मामला उठाया था और जनवरी 2010 में कुमार और अन्य के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था. अन्य आरोपियों ब्रह्मानंद गुप्ता, पेरु, खुशाल सिंह और वेद प्रकाश पर भी अन्य अपराधों के अलावा हत्या, आगजनी और दंगा करने का आरोप लगाया गया था.

1984 के दंगों से संबंधित बंद मामलों की फिर से जांच करने के लिए गृह मंत्रालय के निर्देश पर फरवरी 2015 में गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जनकपुरी और विकासपुरी में हत्याओं की शिकायतों के आधार पर दो एफआईआर दर्ज की थीं.

दिल्ली की एक अदालत ने इस साल की शुरुआत में इन दोनों मामलों में सज्जन कुमार के खिलाफ हत्या और आपराधिक साजिश के आरोप हटा दिए थे, लेकिन घातक हथियारों के साथ दंगा करने, विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और गैर इरादतन हत्या का प्रयास करने के आरोप तय किए गए थे.

कुमार के खिलाफ 1984 के अलावा एक और मामला लंबित है. उन पर 2021 में पश्चिमी दिल्ली के सरस्वती विहार में एक व्यक्ति और उसके बेटे की हत्या का आरोप लगाया गया था.

पिछले साल अप्रैल में एक ट्रायल कोर्ट ने मामले में उन्हें जमानत दे दी थी. बाद में केंद्र सरकार ने जमानत रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था. जुलाई 2022 में हाईकोर्ट ने उनके जमानत आदेश पर रोक लगा दी थी, क्योंकि केंद्र ने तर्क दिया था कि उन्हें रिहा करने से साक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं.

कई मामलों में कुमार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अनिल कुमार शर्मा और वकील अनुज शर्मा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके खिलाफ वर्तमान में तीन मामले लंबित हैं – दो राउज़ एवेन्यू जिला न्यायालय में और एक सुप्रीम कोर्ट में.

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