बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर शीर्ष अदालत और हाईकोर्ट के जजों के लिए रिटायरमेंट के बाद कोई राजनीतिक पद स्वीकारने के लिए दो साल का 'कूलिंग पीरियड' तय करने की मांग की है. उनका कहना है कि ऐसा न होने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता के बारे में प्रतिकूल धारणा बन रही है.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुईं जस्टिस इंदिरा बनर्जी 2019 में तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई पर शीर्ष अदालत की ही एक कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाली समिति में शामिल थीं.
सीजेआई के तौर पर जस्टिस रंजन गोगोई के कार्यकाल में तीन गुनाह हुए थे. रिटायर होने के बाद उन्होंने इसमें एक चौथा भी जोड़ दिया. पिछले दिनों आई उनकी किताब का मक़सद इन सभी का बचाव करना है, लेकिन हर मामले में यह ख़राब ही साबित हुआ है.
पूर्व सीजेआई और राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने अपनी आत्मकथा 'जस्टिस फॉर द जज' के विमोचन में कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट की कर्मचारी द्वारा उन पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की सुनवाई में जज नहीं होना चाहिए था. गोगोई ने कहा, 'हम सभी ग़लतियां करते हैं. इसे स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है.'
पेगासस प्रोजेक्ट: द वायर द्वारा एक्सेस किए गए लीक डेटा से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी और उनके परिवार द्वारा इस्तेमाल किए गए 11 नंबरों को एक अज्ञात आधिकारिक एजेंसी द्वारा पेगासस स्पायवेयर द्वारा हैकिंग के टारगेट के बतौर चुना गया था.
2019 में तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई पर सुप्रीम कोर्ट की एक कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, जिसके बाद अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उन्हें फंसाने के किसी 'गहरे षड्यंत्र' की जांच शुरू की थी. अब इसे बंद करते हुए कोर्ट ने कहा कि दो साल बाद जांच के लिए इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड मिलना मुश्किल है.
भारत के राजनीतिक तौर पर सर्वाधिक संवेदनशील मामलों को अनिवार्य रूप से जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ को ही भेजा जाता था और देश के सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम जज इसकी वजह जानने के लिए इतिहास में पहली बार मीडिया के सामने आए थे.
अवमानना की कार्रवाई के दौरान प्रशांत भूषण और उनके वकील ने कहा था कि 2018 में चार जजों द्वारा अदालत और सीजेआई पर सवाल उठाने को लेकर अवमानना की कार्रवाई क्यों नहीं हुई थी. जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने सोमवार को अपने फ़ैसले में लिखा कि वह इस तरह की पहली और आख़िरी प्रेस वार्ता थी.
पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनीत करने की पूर्व न्यायाधीशों और विपक्षी दलों ने आलोचना की है. ऐसा भी कहा गया कि उन्हें सरकार को फायदा पहुंचाने के एवज में यह पद मिला है. इस बारे में पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज अंजना प्रकाश से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने शीर्ष अदालत के 22 जजों को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि पूर्व सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई ने अक्टूबर 2018 में उनका यौन उत्पीड़न किया था.
सीजेआई रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी पर हरियाणा के एक व्यक्ति ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था. दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस के क्लोज़र रिपोर्ट दायर करने के बाद मामले को बंद कर दिया है.
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एपी शाह ने यह टिप्पणी अप्रैल में सीजेआई रंजन गोगोई पर सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न और प्रताड़ना के आरोपों के संदर्भ में की है. उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया को न्यायिक स्वतंत्रता की सुरक्षा के नाम पर गोपनीयता में बदल दिया गया.
अप्रैल में सीजेआई रंजन गोगोई पर सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न और प्रताड़ना के आरोप लगाए थे. तब शिकायतकर्ता महिला पर नवीन कुमार नाम के व्यक्ति ने नौकरी के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया था. दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया है कि नवीन बीते अप्रैल से ही लापता हैं.
सीजेआई के ख़िलाफ़ उत्पीड़न की शिकायत करने वाली महिला ने एक हलफनामे में आरोप लगाया था कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट कर्मचारी के रूप में बर्ख़ास्त किए जाने के बाद दिल्ली पुलिस में कार्यरत उनके पति और पति के भाई को निलंबित कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला को मामले की सुनवाई करने वाली आंतरिक शिकायत समिति की रिपोर्ट निश्चित तौर पर मिलनी चाहिए ताकि शिकायतकर्ता महिला को उन सवालों का जवाब मिल सके, जो उसने उठाए हैं.