ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ होने वाली वेब सीरीज ‘क्राइम स्टोरीज़ः इंडिया डिटेक्टिव्स’ के पहले एपिसोड में 54 वर्षीय निर्मला चंद्रशेखर की हत्या के मामले में 28 वर्षीय आरोपी श्रीधर राव के इंटरव्यू दिखाए गए हैं, जो कि पुलिस हिरासत में रिकॉर्ड हुए थे. इस पर आपत्ति जताते हुए राव ने कहा था कि इसके प्रसारण से उनके बचाव में बाधा आएगी.
कर्नाटक सरकार ने सार्वजनिक नौकरियों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक फ़ीसदी पद आरक्षित किए हैं. पुलिस कॉन्स्टेबलों की भर्ती को चुनौती मिलने के बाद राज्य सरकार ने यह क़दम उठाया है.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार पर उन फिल्मों के संबंध में दोबारा समीक्षा की शक्तियों के प्रयोग पर रोक लगाई हुई है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरक़रार रखा है. केंद्र सरकार ने मसौदा सिनेमेटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2021 पर दो जुलाई तक जनता की राय मांगी है. विधेयक में फिल्मों की पायरेसी पर जेल की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान भी प्रस्तावित है.
कर्नाटक सरकार ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड की सप्लाई की कमी की वजह से 14 मई को 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान रोक दिया था. राज्य इस आयुवर्ग के सिर्फ़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को ही कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक उपलब्ध करा रहा है, जबकि निजी अस्पतालों में 18 से 44 आयुवर्ग के लोगों के लिए पहली खुराक उपलब्ध है.
केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा का यह बयान कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा राज्य में टीकाकरण की धीमी गति को लेकर राज्य और केंद्र सरकार की खिंचाई के बाद उनका यह बयान आया है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि कर्नाटक 18-44 आयु वर्ग के टीकाकरण को रोक रहा है, ताकि 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों, स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर को दूसरी खुराक दी जा सके.
कनार्टक हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि अगर टीके की खुराक की पर्याप्त संख्या की ख़रीद के लिए तत्काल क़दम नहीं उठाए गए हैं, तो टीकाकरण के मूल उद्देश्य के विफल होने की संभावना है, जो कोविड-19 के प्रसार पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है. कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि वह 45 वर्ष से अधिक आयु के 26 लाख लाभार्थियों को किस तरह से टीके उपलब्ध कराने वाली है, जबकि वैक्सीन की केवल 9.37 लाख खुराक उपलब्ध
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ निजी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 2008-12 तक मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने भूमि अधिग्रहण के ज़रिये 20 एकड़ जमीन को ग़ैरक़ानूनी रूप से अधिसूचित किया, ताकि निजी पक्षकारों को अनुचित लाभ मिल सके.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ एक आपराधिक मामले की जांच का रास्ता साफ़ कर दिया, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने जेडीएस के विधायक नागानगौड़ा कांडक को पैसे और एक मंत्री पद की पेशकश कर भाजपा में शामिल करने के लिए लुभाने की कोशिश की थी.
पिछले कार्यकाल के दौरान के लंबित पड़े मामलों में दिसंबर 2020 से अब तक मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को लगा यह चौथा झटका है. हालिया मामला 2008-2012 की अवधि में अवैध तरीके से भूमि अधिसूचना वापस लेने के कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है. हाईकोर्ट ने कहा कि सत्र अदालत ने 2016 में इस मामले को ख़ारिज करने में ग़लती की थी.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि एक अभियुक्त के स्मार्टफोन, लैपटॉप या ईमेल खाते की जांच के लिए एक सर्च वारंट आवश्यक है. जांच में सहयोग के लिए केवल एक ट्रायल कोर्ट के आदेश के माध्यम से एक अभियुक्त को उसके गैजेट्स या खातों के पासवर्ड/पासकोड का खुलासा करने के लिए विवश नहीं किया जा सकता है.
कर्नाटक हाईकोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें आरोप है कि जग्गी वासुदेव की अध्यक्षता वाली ईशा फाउंडेशन ने कावेरी नदी के 639 किमी लंबे किनारों पर 253 करोड़ पेड़ लगाने की योजना कावेरी कॉलिंग को कर्नाटक सरकार की परियोजना के रूप में पेश करके जनता से 10,626 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं.
कर्नाटक की विभिन्न अदालतों का यह फ़ैसला राज्य की भाजपा सरकार के 31 अगस्त 2020 के आदेश पर आधारित है. सरकार के क़दम से मैसूर से भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा, हिंदुत्ववादी संगठनों के 206 सदस्यों और 106 मुस्लिमों को राहत मिली है.
डेटा प्राइवेसी के लिए काम करने वाले एक कार्यकर्ता की याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकार प्राप्त समूह द्वारा जारी किए गए प्रोटोकॉल के अनुसार प्राइवेसी पॉलिसी में ये बताया जाना चाहिए कि किस उद्देश्य के लिए यूज़र्स के डेटा को इकट्ठा किया जा रहा है, लेकिन आरोग्य सेतु ऐप की पॉलिसी में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है.
बीते पंद्रह दिनों में यह दूसरी बार है जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की याचिका ख़ारिज की है. इससे पहले 23 दिसंबर को अदालत ने भूमि अधिसूचना वापस लेने के एक अन्य मामले में चल रही आपराधिक कार्रवाई रद्द करने के येदियुरप्पा के अनुरोध को नहीं माना था.
एक तलाक याचिका की सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की. हालांकि, हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि वित्तीय स्वतंत्रता और शिक्षा के साथ एक महिला को यह जानना चाहिए कि उसे परिवार के साथ कैसे पेश आना है और शादी टूटने का कारण नहीं बनना चाहिए.