बीते एक सितंबर को अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद कश्मीर घाटी के ज़्यादातर हिस्सों में लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगाने के लिए प्रशासन द्वारा पाबंदी लगाई गई है. इंटरनेट सेवाओं और मोबाइल टेलीफोन सेवाओं को दो दिन तक बंद रखने के बाद शुक्रवार रात को बहाल किया गया था, लेकिन मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को शनिवार सुबह फ़िर से बंद कर दिया गया.
जम्मू कश्मीर के श्रीनगर के जहांगीर चौक पर मुहर्रम के 10 दिनों की शोक अवधि के आठवें दिन जुलूस निकालने की कोशिश कर रहे कुछ शिया मुसलमानों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया. वर्ष 1990 के दशक में आंतकवाद की शुरुआत होने के बाद से जुलूस पर रोक लगी है, क्योंकि अधिकारियों का मानना है कि धार्मिक समागम का इस्तेमाल अलगाववादी राजनीति को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है.
जिस दिन अख़बार और टीवी चैनल जेवलिन थ्रो में एथलीट नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने के ब्योरे छाप रहे थे, जिस दिन नीरज के पहले कोच नसीम अहमद उन्हें याद कर रहे थे, उसी दिन दिल्ली में सैकड़ों लोग भारत के नसीम अहमद जैसे नाम वालों को काट डालने के नारे लगा रहे थे और हिंदुओं को उनका क़त्लेआम करने का उकसावा दे रहे थे.
आज़ादी के सात दशक बाद भी जो औरतें धर्म या जाति की सीमाओं के बाहर जीवनसाथी चुनने का साहस दिखाती हैं, उन्हें परिवार और समाज के साथ पुलिस और नेताओं की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है. वक़्त आ गया है कि महिलाओं द्वारा साथी के चयन को मूल अधिकारों की श्रेणी में शामिल किया जाए और इसकी रक्षा के लिए परिवार, समुदाय, राजनीतिक दलों और राज्य की कट्टरता के विरुद्ध खड़ा हुआ जाए.
जम्मू कश्मीर के अनंतनाग ज़िले की घटना. स्वतंत्र पत्रकार आकाश हसन का कहना है कि उन्हें उनके पत्रकार होने की वजह से निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा कि आरोपी पुलिसकर्मियों को दंडित किया जाना चाहिए, ताकि वह दोबारा ऐसा नहीं करें. पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने इस हमले को अस्वीकार्य और शर्मनाक बताते हुए कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार से पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.
वीडियो: कश्मीर में दो सिख लड़कियों के धर्म परिवर्तन और निकाह का मामला तूल पकड़ चुका है. सिख समुदाय के लोग कश्मीर से लेकर नई दिल्ली तक प्रदर्शन कर रहे हैं. इनका आरोप है कि कश्मीर में आए दिन अपहरण, दबाव बनाकर तो कभी बहला-फुसलाकर लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है. इस मुद्दे पर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने जम्मू कश्मीर के पत्रकारों गौहर गिलानी, शाकिर मीर और समाजसेवी कंवलजीत कौर से चर्चा की.
कश्मीर घाटी में गांदरबल के सफ़ापोरा के रहने वाले सज्जाद राशिद सोफ़ी ने 10 जून को उपराज्यपाल के सलाहकार के साथ स्थानीय लोगों की बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की थी. कथित तौर पर उनकी इस टिप्पणी से गांदरबल की डिप्टी कमिश्नर नाराज हो गईं, जो उत्तर प्रदेश से हैं. विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने के लिए उनके ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 153 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
यूरोपीय संसद की विदेश मामलों की समिति द्वारा एक रिपोर्ट में भारत में मानवाधिकार रक्षकों और पत्रकारों के लिए असुरक्षित कामकाजी माहौल, भारतीय महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों द्वारा सामना की जाने वाली कठिन परिस्थितियों और जाति आधारित भेदभाव के बारे में कई टिप्पणियां की गई हैं.
बांदीपोरा के स्वतंत्र पत्रकार सज्जाद गुल ने एक तहसीलदार द्वारा एक गांव में कथित अवैध निर्माण हटाने और ग्रामीणों के प्रशासन पर प्रताड़ना के आरोप पर एक रिपोर्ट लिखी थी. गुल ने कहा कि इसके बाद तहसीलदार ने बदले की भावना से उनकी संपत्ति में तोड़फोड़ की और उन पर मामला दर्ज करवाया.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त दो विशेषज्ञों ने एक संयुक्त बयान जारी कर जम्मू कश्मीर की स्वायत्तता छीने जाने पर चिंता जताई थी, जिसके बाद भारत सरकार ने इन स्वतंत्र विशेषज्ञों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं.
श्रीनगर के बाहरी इलाके लवायपोरा में 29-30 दिसंबर को एक कथित मुठभेड़ में तीन संदिग्ध आतंकियों का मार गिराया गया था, जिसमें से एक 16 साल का किशोर था. यह इस तरह की दूसरी घटना है, जिसमें मुठभेड़ में मारे गए कथित आतंकी के परिजन के ख़िलाफ़ पुलिस ने यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है.
मोहब्बत की ख़ातिर की जा रही इस लड़ाई में यह ज़रूरी है कि इसे जुझारू तरीके से लड़ा जाए और ख़ूबसूरत तरीके से जीता जाए.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने आतंकियों को आश्रय देने के आरोप में 23 वर्षीय इरफ़ान अहमद डार नाम के एक युवक को हिरासत में लिया था. पुलिस का दावा है कि इरफ़ान हिरासत से भाग गए थे और बाद में उनका शव मिला था, लेकिन उसने मौत का कोई कारण नहीं बताया है.
अमूल मक्खन के लोकप्रिय विज्ञापन कश्मीर के दर्जे में परिवर्तन से लेकर चीनी उत्पादों के बहिष्कार तक के मुद्दे पर सरकार के रवैये के साथ हामी भरते नज़र आते हैं.
वह देश और उसकी जनता कितने दुर्भाग्यशाली होते होंगे, जिनकी चुनी हुई सरकार ही उनसे सच छिपाती फिरे. जहां राम नाम सत्य है कहा जाता होगा, पर उसका अर्थ गहरा और पवित्र नहीं होता होगा.