वर्ष 1977 में तमिलनाडु बार काउंसिल से वकालत शुरू करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आर. वेंकटरमणी 2010 और 2013 में विधि आयोग के भी सदस्य रह चुके हैं. वह वर्तमान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है.
आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को ज़मानत मिलने के संबंध में कथित आपत्तिजनक ट्वीट के लिए स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा और कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के ख़िलाफ़ हाल ही में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मंज़ूरी दी है.
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सितंबर 2018 में कहा था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समृद्ध लोग यानी कि क्रीमी लेयर को कॉलेज में दाखिले तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक फरवरी को सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव की नियुक्ति को लेकर अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल पर आरोप लगाया था कि उन्होंने शीर्ष अदालत को गुमराह किया.
गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे लोगों को चुनावी राजनीति में आने की इजाजत नहीं देने की मांग करने वाली जनहित याचिकाओं पर कोर्ट सुनवाई कर रही है.
सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘कोई ‘एक्स’ व्यक्ति आरक्षण की मदद से किसी राज्य का मुख्य सचिव बन जाता है. अब, क्या उसके परिवार के सदस्यों को पदोन्नति में आरक्षण के लिए पिछड़ा मानना तर्कपूर्ण होगा.’
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि एससी/एसटी वर्ग के लोग सदियों तक मुख्यधारा से बाहर रखे गए, जाति का दंश एवं ठप्पा अब भी उनके साथ जुड़ा हुआ है. क्रीमी लेयर सिर्फ़ ओबीसी के तहत आरक्षण लाभ प्राप्त करने से समृद्ध लोगों को बाहर रखने के लिए लाया गया था.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि वे शीर्ष अदालत की आलोचना नहीं कर रहे हैं. लेकिन, अतीत में उसके आदेशों और फैसलों ने ऐसी स्थिति पैदा की है जिससे लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ीं.
शांति भूषण की तरफ़ से पेश हुए अधिवक्ता दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण ने दलील दी कि प्रधान न्यायाधीश अपने अधिकारों का निरंकुश होकर इस्तेमाल नहीं कर सकते.
शीर्ष अदालत ने फ़िलहाल लोकपाल की नियुक्ति को लेकर आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी.
एक जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 27 अप्रैल, 2017 के फैसले के बावजूद अभी तक लोकपाल की नियुक्ति की दिशा में कोई क़दम नहीं उठाए जाने का मुद्दा उठाया गया है.