विभाजन या इतिहास के किसी भी कांटेदार खंडहर में फंसे जिस्मों को भूलकर, अगर सत्ताधारियों के लिबास में नज़र आने वाले सितम-ज़रीफ़ ख़ुदाओं के जाल को नहीं तोड़ा गया तो मरने वाले की ज़बान पर भी ख़ुदा का नाम होगा और मारने वाले की ज़बान पर भी ख़ुदा का नाम होगा.
बीते दिनों आईसीएसई ने प्रसिद्ध कहानीकार कृश्न चंदर की कहानी ‘जामुन का पेड़’ को दसवीं कक्षा के पाठ्यक्रम से हटा दिया था. उनकी लेखनी और ज़िंदगी की महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में उनके भतीजे पवन चोपड़ा से द वायर के फ़ैयाज़ अहमद वजीह की बातचीत.
आईसीएसई ने प्रसिद्ध कहानीकार कृश्न चंदर की कहानी 'जामुन का पेड़' को दसवीं कक्षा के पाठ्यक्रम से हटा दिया है. काउंसिल का कहना है कि यह दसवीं के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त नहीं है.