पिछले साल राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक होने का ख़ुलासा होने के बाद से उत्तराखंड में एक के बाद एक कई भर्तियों में अनियमितताएं सामने आई हैं जिसके कारण उन्हें रद्द करना पड़ा. इसके ख़िलाफ़ देहरादून में बेरोज़गार युवाओं के समूह प्रदर्शन कर रहे हैं.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में यूपी पुलिस के कर्मी महिलाओं को बेरहमी से मारते नज़र आ रहे हैं. बताया गया है कि वीडियो अंबेडकर नगर ज़िले के जलालपुर क़स्बे का है, जहां महिलाएं हाल ही में डॉ. बीआर आंबेडकर के चित्र पर कालिख पोते जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं.
भारत में, विशेषकर उत्तर भारत में छात्रों की जगह टेस्टार्थियों ने ले ली है. टेस्टों की राह इतनी जटिल बना दी गई है कि इनमें शामिल होने वालों की सारी ऊर्जा इसी भूलभुलैया में बाहर का रास्ता खोजते हुए चुक जाती है. आज छात्र नहीं टेस्टार्थियों की भीड़ खड़ी है. भीड़ का ग़ुस्सा ज़रूर फूट सकता है, पर वह आंदोलन नहीं कर सकती.
आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा को लेकर छात्रों के प्रदर्शनों पर बसपा प्रमुख ने कहा कि ग़रीब युवाओं व बेरोज़गार नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और विरोध करने पर उनकी पिटाई सर्वथा अनुचित है. वहीं, कांग्रेस ने युवाओं का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार उनकी समस्याओं का तत्काल समाधान करे और गिरफ़्तार छात्रों को रिहा करे.
रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा गैर तकनीकी श्रेणियों (आरआरबी-एनटीपीसी) के लिए परीक्षाओं में कथित विसंगतियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों के बीच रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शांति की अपील करते हुए छात्रों को शिकायतों के समाधान का आश्वासन दिया है.
रेलवे भर्ती बोर्ड की आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा 2021 परिणाम के विरोध में इलाहाबाद में रेलवे ट्रैक पर उतरे अभ्यर्थियों पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं, तो बिहार के सीतामढ़ी में पुलिस ने हवाई फायरिंग कर प्रदर्शनकारियों को हटाया. बढ़ते विरोध के बीच रेलवे ने पटरी पर प्रदर्शन, ट्रेन संचालन में बाधा और रेल संपत्तियों को नुक़सान पहुंचाने जैसी गतिविधियों में लिप्त लोगों को जीवनभर नौकरी से वंचित रखने की चेतावनी दी है.
कटिहार स्टेशन पर भोजन और बस की व्यवस्था न होने से नाराज़ मज़दूरों ने चक्काजाम कर दिया था और तक़रीबन 40 मिनट तक बिहार सरकार और प्रशासन के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की थी. हालांकि पुलिस ने लाठीचार्ज की बात से इनकार किया है.
सरोजिनी नायडू ने मदन मोहन मालवीय को ‘रुढ़िवादी-प्रगतिशील नेता’ कहा था. संघ परिवार ने अपने एजेंडा के लिए उनके रुढ़िवादी पहलू का तो इस्तेमाल किया, लेकिन उनके प्रगतिशील दृष्टिकोण को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया.