इस पद के लिए तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को भी शॉर्टलिस्ट किया गया था, लेकिन इन सबको दरकिनार कर चयन समिति ने जस्टिस अरुण मिश्रा को तरजीह दी. पिछले साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के जज के पद पर होते हुए भी उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ की थी, जिसके कारण उनकी आलोचना हुई थी कि वह किस हद तक सरकार के क़रीबी हैं.
वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने एक कार्यक्रम में कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट के जज किसी राजनेता की प्रशंसा करते हैं तो वे अधीनस्थ अदालतों को क्या संदेश देते हैं? इसका केवल यही संदेह होता है, मोदी सरकार के ख़िलाफ़ मामले तय न करें. कार्यपालिका के पक्ष में जाने के लिए जज क़ानून के परे जा चुके हैं.
बुधवार को रिटायर हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा को उनके सहयोगियों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विदाई दी गई. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने इस आयोजन में उन्हें बोलने का मौक़ा न दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अरुण मिश्रा ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसनीय दूरद्रष्टा और बहुमुखी प्रतिभा वाला ऐसा नेता बताया जिनकी सोच वैश्विक स्तर की है, लेकिन स्थानीय हितों को अनदेखा नहीं करते.
सुप्रीम कोर्ट में 'न्यायपालिका और बदलती दुनिया' विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गांधीजी का जीवन सत्य और सेवा को समर्पित था, जो किसी भी न्यायतंत्र की नींव माने जाते हैं औ हमारे बापू खुद भी तो वकील थे.