द वायर और लाइव लॉ के सहयोग से कैंपेन फॉर ज्युडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स द्वारा आयोजित एक सेमिनार में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन लोकुर ने कहा कि आज की तारीख़ में ऐसी धारणा बन चुकी है कि अगर कोई केस फलां पीठ के समक्ष गया है, तो नतीजा क्या होगा.
नई प्रणाली के तहत शीर्ष अदालत के जज दो अलग-अलग पालियों में काम कर रहे हैं. प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को कुल 30 जज मुक़दमों की सुनवाई करते हैं और दो-दो न्यायाधीशों की पीठ का ही गठन किया जाता है. प्रत्येक पीठ औसतन 60 से अधिक मामलों की सुनवाई करती है, जिनमें नई जनहित याचिकाएं शामिल हैं.