पुण्यतिथि विशेष: विद्रोही अभी ज़िंदा हैं. सारे बड़े-बड़े लोग पहले मर लेंगे, सारे तानाशाह और ज़ुल्मी मर जाएंगे, उसके बाद विद्रोही मरेंगे आराम से, वसंत ऋतु में.
हरिशंकर परसाई ने मुक्तिबोध को याद करते हुए लिखा कि जैसे ज़िंदगी में मुक्तिबोध ने किसी से लाभ के लिए समझौता नहीं किया, वैसे मृत्यु से भी कोई समझौता करने को तैयार नहीं थे.
अपने जीवन के विषाद, विष, अंधेरे को निराला ने जिस तरह से करुणा और प्रकाश में बदला, वह हिंदी साहित्य में अद्वितीय है.
यह भीड़ फासिस्टों का हथियार बन सकती है. हमारे देश में यह भीड़ बढ़ रही है. इसका उपयोग भी हो रहा है. आगे इस भीड़ का उपयोग सारे राष्ट्रीय और मानव मूल्यों के विनाश के लिए, लोकतंत्र के नाश के लिए करवाया जा सकता है.
तीन बार बुकर पुरस्कार के लिए नामित और 17 से ज़्यादा किताबों की लेखक अनीता देसाई को हाल ही में इंटरनेशनल लिटरेरी ग्रैंड प्राइज़ से सम्मानित किया गया है.