यह मामला बैंक द्वारा दिए गए एक फ़र्ज़ी ऋण से संबंधित है. प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि 2011 और 2013 के बीच नियमों का उल्लंघन कर जाली दस्तावेज़ों के आधार पर आरईआई एग्रो समूह को 800 करोड़ रुपये का क़र्ज़ दिया गया. सीबीआई ने इस कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी मामला दर्ज किया है.
भारतीय रिज़र्व बैंक के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 में एक लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के मामले में संख्या के हिसाब से 28 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 159 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.