सुप्रीम कोर्ट ने महाकुंभ भगदड़ को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया, जांच याचिका पर विचार करने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महाकुंभ में हुई भगदड़ में कथित लापरवाही को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा है.

महाकुंभ: जुलाहे की बुनी फाड़ने की कोशिशें हो सकती हैं, पर रेशों को अलग नहीं किया जा सकता

कुंभों और महाकुंभों की लंबी परंपरा में कभी इलाहाबादी कुंभ यात्रियों या कुंभयात्री इलाहाबादियों की किसी भी तरह की असुविधा के हेतु नहीं बने. उन्होंने हमेशा, और इस बार विशेषकर मुस्लिम समुदाय ने परस्पर सत्कार व सहकार की भावना बनाए रखी.

महाकुंभ में मौत: कई जगहों पर हुई थी भगदड़, सरकारी आंकड़े पर उठे सवाल

ढाई हज़ार से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी का दावा करने वाला प्रशासन भगदड़ रोकने में असफल क्यों हुआ? झूंसी इलाके में हुई भगदड़ की जानकारी प्रशासन को क्यों नहीं थी? अगर जानकारी नहीं थी, तो बिखरे कपड़ों, चप्पलों और अन्य चीजों को बड़े ट्रकों में किसके आदेश पर हटवाया जा रहा था?

महाकुंभ और मुसलमान: इलाहाबादियत और इंसानियत का परचम

कहते हैं कि जब कोई गंगा स्नान करके घर आता है तो उसके पैरों में लगकर गंगा की माटी भी उन लोगों के लिए चली आती है जो गंगा तक नहीं जा पाए. महाकुंभ में भगदड़ की रात जब तमाम श्रद्धालु मेला क्षेत्र से निकलकर शहर में फंसें, तो जिन मुसलमानों को कुंभ में हिस्सा लेने से रोका गया, कुंभ ख़ुद ही उनके घरों, उनकी मस्ज़िदों में चला आया.

महाकुंभ का मायाजाल: वीआईपी का जलवा, आम नागरिक बेहाल

हादसे के दो दिन बाद भी प्रयागराज में विकट स्थिति बनी हुई है. लोगों के घरों में दूध और अख़बार तक नहीं पहुंच पाए हैं. शहर की सड़कों पर बेहिसाब भीड़ के बीच वाहन अटके हुए हैं.

महाकुंभ भगदड़: यूपी सरकार के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

महाकुंभ में 29 जनवरी को हुई भगदड़ में कम से कम 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 60 से अधिक अन्य घायल हो गए. एक जनहित याचिका में यूपी सरकार पर प्रशासनिक चूक, लापरवाही और पूर्ण विफलता का आरोप लगाया गया है. इस बीच, भगदड़ की घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं.

महाकुंभ में मौत: सरकार अपनी काहिली को छोड़कर किसी और को ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकती

1954 कुंभ त्रासदी को लेकर तब की सरकार को कोसने वाले भूल जाते हैं कि भगदड़ के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने सभी वीआईपी अतिथियों से आग्रह किया था कि वे प्रमुख स्नान पर्वों पर कुंभ न जाएं, पर अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह वहां जाने वाले हैं और उनसे ऐसी किसी अपील की उम्मीद की ही नहीं जाती.

महाकुंभ: मौनी अमावस्या पर मेले में भगदड़, कई के हताहत होने की आशंका

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में महाकुंभ के दौरान बुधवार को संगम पर भगदड़ जैसी स्थिति पैदा होने से कई लोगों के हताहत होने की आशंका है. खबरों में 15 लोगों के मारे जाने की बात कही जा रही है लेकिन आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है.

महाकुंभ का महाराजनीतिकरण: क्या होगा अंजाम?

महाकुंभ का राजनीतिकरण अपनी सीमाएं न लांघ रहा होता, तो न इस मेले को अतिशय महत्वपूर्ण बताने के लिए आने-नहाने वालों की संख्या तर्कातीत स्तर तक बढ़ाकर कई-कई करोड़ बताने की ज़रूरत पड़ती, न ही शाही स्नान का नाम बदलकर अमृत स्नान बताकर अपनी हीनता ग्रंथि को तुष्ट करने की.

यूपी: महाकुंभ को कैसे कवर करें पत्रकार? योगी सरकार ने ख़बरें लिखने के लिए 70 विषय सुझाए

मीडिया कवरेज के लिए अंग्रेजी और हिंदी में छपे यूपी सरकार के एक ब्रोशर में पत्रकारों और संपादकों को बताया गया है कि महाकुंभ 2025 को कैसे कवर किया जाए, उन्हें किस तरह की स्टोरी करनी चाहिए और इसके लिए वे किससे बातचीत करें व किसका साक्षात्कार लें.