भीष्म साहनी के उपन्यास ‘तमस’ ने बंटवारे के दौरान हिंदू मुस्लिम दंगों के निर्माण की परिघटना पर नज़र डालते हुए दूसरे के प्रार्थना स्थल पर निषिद्ध मांस फेंककर दंगा फैलाने की योजना को उजागर किया गया था. अस्सी साल का वक्फ़ा बीतने को है, लेकिन दंगा फैलाने की इस रणनीति में कोई गुणात्मक परिवर्तन नहीं आया है.
बीते दिनों ‘हिंदू योद्धा संगठन’ से जुड़े हुए कुछ लोगों ने सुअर के मांस के टुकड़े, धार्मिक ग्रंथ के फटे पन्ने और मुस्लिमों के लिए आपत्तिजनक शब्द लिखे कुछ पत्रों को अयोध्या की कुछ मस्जिदों और मज़ार के पास फेंककर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश की थी. मामले का मुख्य आरोपी महेश मिश्रा मुस्लिम विरोधी रहा है. उसने न सिर्फ़ मुसलमानों को मारने का आह्वान किया है, बल्कि उसके आर्थिक बहिष्कार करने की भी अपील कर चुका है.