श्रीनगर की एक स्थानीय महिला से दोस्ती रखने के दोषी मेजर लीतुल गोगोई के कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया इस साल मार्च में पूरी हुई थी. 2017 में एक युवक को सेना की जीप के बोनट पर बांधकर घुमाने की वजह से गोगोई विवादों में आए थे.
साल 2017 में 9 अप्रैल को श्रीनगर-बडगाम संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव के दौरान मेजर लीतुल गोगाई ने अपनी जीप के आगे फ़ारूक़ अहमद डार को मानव ढाल के तौर पर बांधकर तकरीबन 28 गांवों में घुमाया था.
श्रीनगर की एक स्थानीय महिला से दोस्ती रखने के दोषी मेजर गोगोई का पद घटाया जा सकता है. वह 2017 में पत्थरबाजी करने वाले युवक को मानव ढाल बनाने की वजह से विवादों में आए थे.
मेजर लीतुल गोगोई के एक स्थानीय महिला के साथ पाए जाने के मामले में श्रीनगर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने कहा कि जांच असली तथ्यों का पता लगाए बिना बेहद लापरवाह तरीके से की गई है.
बीते 23 मई को मेजर लीतुल गोगोई को पुलिस ने श्रीनगर के एक होटल में विवाद होने के बाद हिरासत में लिया था, वे तब एक 18 वर्षीय महिला के साथ होटल में घुसने की कोशिश कर रहे थे.
यह फैसला सेना प्रमुख बिपिन रावत के इस बयान के शीघ्र बाद आया कि यदि मेजर गोगोई किसी अपराध के दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी.
पिछले साल कश्मीर में अपनी जीप के बोनट पर एक नागरिक को बांधकर घुमाने वाले मेजर लीतुल गोगोई को पुलिस ने हाल ही में एक होटल विवाद के बाद एक लड़की के साथ हिरासत में लिया था.
मेजर लीतुल गोगोई एक लड़की के साथ श्रीनगर के होटल में पहुंचे थे, जहां स्टाफ द्वारा लड़की को साथ रुकने की अनुमति न देने पर गोगोई का होटलकर्मियों से विवाद हुआ. गोगोई को पुलिस ने गिरफ़्तार कर पूछताछ के बाद उन्हें उनकी यूनिट के हवाले कर दिया.
कश्मीर में पिछले साल नौ अप्रैल को सेना ने फ़ारूक़ को पत्थरबाज़ बताते हुए जीप की बोनट से बांधकर कई गांवों में घुमाया था. घटना के एक साल बाद भी फ़ारूक़ अवसाद में हैं.
9 अप्रैल 2017 को सेना द्वारा जीप पर बांधकर घुमाए गए फ़ारूक़ अहमद डार साल भर बाद भी अपनी सामान्य ज़िंदगी में लौटने के लिए जूझ रहे हैं.
इसके पहले किसी जनरल या सैन्य अधिकारी के प्रेस कांफ्रेंस की कोई मिसाल हमें याद नहीं. पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के समय भी नहीं.
किसी भी पेशेवर सेना के लिए उसकी प्रतिष्ठा सबसे ज़रूरी होती है पर ऐसा लगता है कि भारतीय सुरक्षा के शीर्ष पद पर बैठे लोग चाहे वे मंत्रालय में हों या सेना में, ये बात भूल गए हैं.
मेजर गोगोई को पुरस्कृत कर सेना ने एक झटके में कश्मीर घाटी के सभी वासियों को संदेश दे डाला है कि सेना तुम्हारी दोस्त नहीं है.
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंडिया के अनुसार, अधिकारी को पुरस्कृत करने का मतलब है कि सेना निर्दयी, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार के उस कृत्य को सही ठहराना चाहती है.