नगा समूह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) ने कहा कि कट्टरपंथी मेईतेई संगठन अरामबाई तेंगगोल द्वारा ईसाइयों को परेशान करने और शारीरिक हमले के साथ परेशान करने वाली प्रवृत्ति देखी है, जो शांति और सहिष्णुता के लिए ख़तरा है.
असम पुलिस ने कछार ज़िले में 16 जुलाई को एक मुठभेड़ में तीन उग्रवादियों को मारने का दावा किया था. इनमें से एक 35 वर्षीय जोशुआ भी थे. उनके परिजनों ने मुठभेड़ को फर्ज़ी क़रार देते हुए कहा है कि वह मणिपुर के फेरज़ावल ज़िले के सेनवोन गांव के निवासी थे और अदरक, चावल तथा सब्जियों की खेती करते थे.
घटना जिरीबाम ज़िले की है. शनिवार रात आतंकवादियों के साथ गोलीबारी के बाद रविवार सुबह केंद्रीय और राज्य सुरक्षा बलों की एक संयुक्त टीम कथित तौर पर तलाशी अभियान चला रही थी, तभी उन पर हमला किया गया.
कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान उन्हें सौंपे गए एक पत्र में कहा गया है कि गरीब, दलित और आदिवासी ईसाई अक्सर भेदभाव और बहिष्कार का सामना करते हैं.
यूनाइटेड किंगडम में रहने वाले भारतीय मूल के एक प्रोफेसर पर मणिपुर में जातीय हिंसा भड़काने की एफआईआर की निंदा करते हुए कुकी छात्र संगठन ने कहा कि यह कार्रवाई राज्य सरकार की कमियां बताने वालों को निशाना बनाने की प्रवृत्ति को दिखाती है.
मणिपुर के कुकी-ज़ो समुदाय ने राज्य के चार ज़िलों में रैलियां निकालते हुए जातीय हिंसा को समाप्त करने और आदिवासियों के लिए ‘केंद्र शासित प्रदेश’ बनाने की मांग उठाई. वहीं, मेईतेई बहुल इंफाल घाटी में महिलाओं ने रैली कर कुकी-ज़ो समुदाय की अलग प्रशासन की मांग का कड़ा विरोध किया.
मणिपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने एक साक्षात्कार में कहा कि 14 महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर के चूड़ाचांदपुर, कांगपोकपी या मोरेह जैसे अशांत क्षेत्रों में बहुसंख्यक समुदाय के न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति संभव नहीं है.
मणिपुर के सीमावर्ती शहर मोरेह के पास टी मोथा में अज्ञात हमलावरों ने एक स्कूल की इमारत में आग लगा दी, वहीं जिरीबाम ज़िले के कालीनगर में खाली पड़े घरों और दुकानों में आगजनी हुई. इस बीच राज्य सरकार ने आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए कैबिनेट उपसमिति बनाने की बात कही है.
मणिपुर: जिरीबाम हिंसा के बीच मेईतेई-कुकी समूहों ने हिंसा से निपटने में केंद्र की भूमिका पर सवाल उठाए
मणिपुर में पिछले साल मई से जारी जातीय हिंसा से अछूते रहे जिरीबाम ज़िले में हिंसा फैलने के बीच कुकी संगठनों ने केंद्र और केंद्रीय सुरक्षा बलों पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है. वहीं, मेईतेई संगठन ने कहा कि केंद्र स्थिति से निपटने में 'तटस्थ रुख़' अपना रहा है.
मणिपुर के जिरीबाम ज़िले में बीते 6 जून को एक व्यक्ति की बर्बर हत्या के बाद हिंसा भड़की थी और उग्र भीड़ ने दो पुलिस चौकियों, एक वन विभाग कार्यालय और कम से कम 70 घरों को आग लगा दी थी. अब घटना के बाद लगभग 2,000 लोग विस्थापित होकर असम पहुंचे हैं.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह मंगलवार को हिंसा प्रभावित जिरीबाम ज़िले के दौरे पर जाने वाले थे, जिसकी तैयारी के लिए सुरक्षाकर्मियों का एक दल ज़िले की ओर ही जा रहा था, रास्ते में ही वह संदिग्ध उग्रवादियों के हमले का शिकार हो गया.
मणिपुर के सीमावर्ती ज़िले जिरीबाम में गुरुवार को उस समय तनाव फैल गया जब अज्ञात हमलावरों ने एक 56 वर्षीय व्यक्ति का अपरहरण कर उनकी बर्बर तरीके से हत्या कर दी. इसके विरोध में हुए प्रदर्शनों के बाद राज्य सरकार ने ज़िले में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू घोषित लगा दिया है.
मणिपुर में कुकी नेशनल फ्रंट-मिलिट्री काउंसिल ने थांगजिंग चिंग (पहाड़ी) पर एक साइनबोर्ड लगाया था, जिसमें इसे ‘कुकी आर्मी’ का ‘थांगटिंग शिविर’ कहा गया था. सांस्कृतिक रूप से विवादित क्षेत्र में लगाए गए इस साइनबोर्ड को लेकर पुलिस ने ज़ीरो एफआईआर दर्ज की है. मेईतेई समुदाय इस जगह को तीर्थ मानता है.
मणिपुर पुलिस ने अपहरण के इन मामलों में एफआईआर दर्ज करके कम से कम 10 लोगों को गिरफ़्तार भी किया है, जिनमें दो लोग प्रभावशाली मेईतेई संगठन अरामबाई तेंग्गोल के सदस्य हैं, जिन पर इंफाल पूर्व के कांगपोकपी जिले से 4 पुलिसकर्मियों के अपहरण का आरोप है.
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा से संबंधित मामलों की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने एक मामले में आरोपपत्र दायर किया है. इसमें कहा गया है कि राज्य में हिंसा भड़काने के आरोपियों के पास से वही हथियार बरामद हुए हैं, जो उपद्रव के दौरान पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए थे.