कांग्रेस उम्मीदवार मनीष तिवारी के चंडीगढ़ लोकसभा सीट जीतने के बाद 36 सदस्यों वाले चंडीगढ़ नगर निगम में वह पदेन सदस्य बन गए हैं. सदन में अब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन बहुमत में आ गया है.
देश और विदेश में लोगों को वॉट्सऐप पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पत्र के साथ कई सरकारी योजनाओं को सूचीबद्ध करने वाले संदेश प्राप्त हुए हैं और जनता से विचार और सुझाव मांगे गए हैं. कांग्रेस ने इसे लेकर केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि ये संदेश आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हैं. वहीं, टीएमसी ने पीएम मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है.
बीते 10-11 फरवरी को हुए एक लोकतंत्र सम्मेलन में नागरिक समाज के सौ से अधिक सदस्य, पूर्व सिविल सेवकों, मीडिया पेशेवर और शिक्षाविद इकट्ठे हुए थे. इनमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, मनीष तिवारी, माकपा नेता सीताराम येचुरी और सांसद कपिल सिब्बल भी शामिल थे.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का यह बयान तब आया है, जब एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि सीएए के नियमों को लोकसभा चुनावों की घोषणा से ‘बहुत पहले’ अधिसूचित कर दिया जाएगा. दिसंबर 2019 में संसद द्वारा सीएए पारित होने और राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने के बाद देश के कुछ हिस्सों में इसके ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे.
संसद सुरक्षा मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग करने के कारण 14 दिसंबर से अब तक निलंबित हुए विपक्षी सांसदों की कुल संख्या 141 हो गई है. निचले सदन में विपक्षी दलों के केवल 47 सांसद बचे हैं.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा उन्हें लिखे गए एक पत्र को एक्स पर साझा करते हुए कहा कि अगर जयशंकर या विदेश मंत्रालय गंभीर होते तो हालात कभी ऐसे नहीं बनते कि 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मचारियों को एक ऐसे कथित अपराध के लिए मौत की सज़ा दी जाती, जिसका विवरण अभी भी अज्ञात है.
बीते 8 सिंतबर को भारत और अमेरिका ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि दोनों पक्षों ने अमेरिकी नौसेना संपत्तियों और अन्य विमानों और जहाजों के रखरखाव और मरम्मत के लिए एक केंद्र के रूप में भारत के उद्भव को आगे बढ़ाने की सिफ़ारिश की है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार से इसे संसद में स्पष्ट करने को कहा है.
जनवरी माह में पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन में पेश हुए लेह-लद्दाख संबंधी एक शोध पत्र में पूर्वी लद्दाख में 65 में से 26 पेट्रोलिंग पॉइंट्स तक भारत की पहुंच खोने संबंधी बात सामने आई थी. संसद में इसी संबंध में गृह मंत्रालय से सवाल किया गया था, जिसे जवाब देने वाले प्रश्नों में से निकाल दिया गया.
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45ई के प्रावधान केंद्रीय बैंक को क्रेडिट जानकारी का ख़ुलासा करने से रोकते हैं.
केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में एक विधेयक पेश करने के दौरान सुप्रीम कोर्ट को सुझाव देते हुए कहा कि वह उन्हीं मामलों पर सुनवाई करे जो प्रासंगिक हैं. विपक्ष ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि सरकार न्यायपालिका को मैनेज करने मंशा रखती है.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने संसद में एक निजी विधेयक पेश किया है, जिसमें चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और स्वायत्तता को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति का गठन हो, जिसमें नेता विपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हों.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर, मनीष तिवारी, कार्ति चिदंबरम, प्रद्युत बोरदोलोई और अब्दुल ख़ालिक़ ने बीते 6 सितंबर को पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री को पत्र लिखकर अध्यक्ष पद के चुनाव में पारदर्शिता की मांग की थी. अब मिस्त्री ने कहा है कि दिल्ली में एआईसीसी स्थित उनके कार्यालय में सभी 9,000 से अधिक प्रतिनिधियों की सूची 20 सितंबर से 24 सितंबर तक उपलब्ध रहेगी.
आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक 2022 विधेयक के पारित होने के बाद किसी भी अपराधी या आरोपी की पहचान के लिए उसके बायोलॉजिकल सैंपल, उंगलियों के निशान, पैरों के निशान और दूसरे ज़रूरी सैंपल लिए जाने का प्रावधान किया गया है. इन्हें एकत्र करके 75 सालों तक इस डेटा को संभाल कर रखा जा सकेगा.
कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के नेताओं ने कहा कि पार्टी समान विचारधारा वाली सभी ताक़तों के साथ संवाद की शुरुआत करे ताकि 2024 के लिए विश्वसनीय विकल्प पेश करने का एक मंच बन सके. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग हालिया चुनावी हार की पटकथा लिखने के ज़िम्मेदार हैं, उन्हें ही चुनाव बाद के हालात के आकलन के लिए नियुक्त किया गया है.
कोई नहीं कह सकता कि नेता के तौर पर मनीष तिवारी या सलमान ख़ुर्शीद की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है या उसे पूरा करने के लिए वे किताब लिखने समेत जो करते हैं, उसे लेकर आलोचना नहीं की जानी चाहिए. लेकिन उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस के नेताओं के रूप में उन्हें अपने विचारों को रखने की इतनी भी आज़ादी नहीं है कि वे लेखक के बतौर पार्टी लाइन के ज़रा-सा भी पार जा सकें?