अब लोकसभा से विपक्ष के 49 और सांसद निलंबित, बीते हफ्ते से अब तक कुल 141 सदस्य निलंबित

संसद सुरक्षा मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग करने के कारण 14 दिसंबर से अब तक निलंबित हुए विपक्षी सांसदों की कुल संख्या 141 हो गई है. निचले सदन में विपक्षी दलों के केवल 47 सांसद बचे हैं.

लोकसभा. (स्क्रीनग्रैब साभार: संसद टीवी)

संसद सुरक्षा मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग करने के कारण 14 दिसंबर से अब तक निलंबित हुए विपक्षी सांसदों की कुल संख्या 141 हो गई है. निचले सदन में विपक्षी दलों के केवल 47 सांसद बचे हैं.

19 दिसंबर 2023 को लोकसभा. (स्क्रीनग्रैब साभार: संसद टीवी)

नई दिल्ली: मंगलवार (19 दिसंबर) को लोकसभा से 49 और विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया. 14 दिसंबर से अब तक निलंबित विपक्षी सांसदों की कुल संख्या 141 हो गई है. निचले सदन में विपक्षी दलों के केवल 47 सांसद बचे हैं.

निलंबन की यह कार्रवाई तब की गई जब एक दिन पहले ही दोनों सदनों से निलंबित किए गए 78 विपक्षी सांसदों के निलंबन के खिलाफ विपक्षी दलों ने विरोध जताया.

बता दें कि विपक्षी सांसद पिछले हफ्ते (13 दिसंबर को) संसद की सुरक्षा में हुई चूक, जब दो युवक दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए थे और धुआं छोड़ दिया था, पर गृहमंत्री अमित शाह से बयान की मांग कर रहे हैं.

मोदी सरकार ने विपक्षी सांसदों के निलंबन को इस आधार पर सही ठहराने की कोशिश की है कि बिजनेस एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि नई संसद में तख्तियां (प्लेकार्ड) लहराने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

मंगलवार को, जहां विपक्ष ने विरोध जताते हुए सरकार पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया, वहीं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में कहा कि मोदी सरकार को यह कार्रवाई करने के लिए ‘मजबूर’ किया गया है.

जोशी ने कहा, ‘यह तय किया गया था कि कोई भी सदन में तख्तियां नहीं लाएगा. इसके बावजूद वे तख्तियां लेकर आए हैं और संसद का अपमान कर रहे हैं. वे लोकसभा अध्यक्ष का अपमान कर रहे हैं. यही कारण है कि हमें दुख है लेकिन हमें ऐसी कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.’

इसके बाद केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘गंभीर कदाचार’, ‘तख्तियां दिखाने और सदन के वेल में प्रवेश करने’ के लिए 49 विपक्षी सांसदों को निलंबित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया.

मंगलवार को शेष सत्र के लिए निलंबित किए गए विपक्षी सांसदों के नाम हैं- वी. वैथीलिंगम (कांग्रेस), गुरजीत सिंह (कांग्रेस), सुप्रिया सुले (एनसीपी), एसएस पलानीमनिकम (डीएमके), अदूर प्रकाश (कांग्रेस), अब्दुस्समद समदानी (आईयूएमएल), मनीष तिवारी (कांग्रेस), प्रद्युत बोरदोलोई (कांग्रेस), गिरधारी यादव (जेडीयू), गीता कोरा (कांग्रेस), फ्रांसिस्को सारादीना (कांग्रेस), एस. जगतरक्षकन (डीएमके), एसआर पार्थिबन (डीएमके), फारूक अब्दुल्ला (एनसी), ज्योत्सना महंत (कांग्रेस), ए. गणेशमूर्ति (डीएमके), माला रॉय (टीएमसी), पी. वेलुसामी (डीएमके), ए. चेल्लाकुमार (कांग्रेस), शशि थरूर (कांग्रेस), कार्ति चिदंबरम (कांग्रेस), सुदीप बंदोपाध्याय (टीएमसी), डिंपल यादव (एसपी), हसनैन मसूदी (एनसी), दानिश अली (बीएसपी), खलीलुर रहमान (टीएमसी), राजीव रंजन सिंह (जदयू), डीएनवी सेंथिल कुमार (डीएमके), संतोष कुमार (जदयू), दुलाल चंद्र गोस्वामी (जदयू), रवनीत सिंह बिट्टू (कांग्रेस), दिनेश यादव (जदयू), के. सुधाकरन (कांग्रेस), मुहम्मद सादिक (कांग्रेस), एमके विष्णुप्रसाद (कांग्रेस), पीपी मोहम्मद फैजल (एनसीपी), सजदा अहमद (टीएमसी), जसबीर सिंह गिल (कांग्रेस), महाबली सिंह (जदयू), अमोल कोल्हे (एनसीपी), सुशील कुमार रिंकू (आप), एसटी हसन (सपा), धनुष एम. कुमार (डीएमके), प्रतिभा सिंह (कांग्रेस), थोल तिरुमलावन (वीसीके), चंदेश्वर प्रसाद (जदयू), आलोक कुमार सुमन (जदयू), सुनील कुमार (जदयू) और दिलेश्वर कामैत (जदयू).

अपने निलंबन के बाद कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि संसद ‘पूरी तरह से अवैध’ हो गई है.

उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘संसद पूरी तरह से अवैध हो गई है. यह संसद में सबसे कठोर कानूनों को पारित करने की रूपरेखा तैयार करने के लिए है जो देश को एक पुलिस स्टेट में बदल देगा.’

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, सरकार नए आपराधिक संहिता विधेयक को पारित करने की इच्छुक है और यह संभवत: मंगलवार या बुधवार को होगा.

सोमवार को संसद के दोनों सदनों से कुल 78 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया था, जिनमें लोकसभा के 33 और राज्यसभा के 45 सांसद शामिल थे.

इससे पहले 14 दिसंबर को कुल 14 सांसदों (लोकसभा के 13 और राज्यसभा के एक) को निलंबित कर दिया गया था.

17वीं लोकसभा में अभूतपूर्व संख्या में सांसद निलंबित हो रहे हैं. लोकसभा से निलंबित सांसदों की सबसे बड़ी संख्या 1989 में राजीव गांधी सरकार के दौरान थी, जब 63 सांसदों को बाहर जाने के लिए कहा गया था.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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