झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा अगस्त 2021 से जनवरी 2022 के बीच बोकारो ज़िले के गोमिया और नवाडीह प्रखंड के 31 ऐसे आदिवासियों पर सर्वे किया गया जो कि माओवाद संबंधित मामलों में आरोपी हैं. सर्वे में सामने आया कि सालों से विचाराधीन रहने के बाद एक-एक करके पीड़ित आरोप-मुक्त हो रहे हैं, लेकिन केस के कारण पीड़ित परिवार क़र्ज़ में डूब गए हैं और बच्चों की पढ़ाई छूट गई है.
मामला सुकमा ज़िले का है. बताया गया कि पुलिस ने जुलाई 2021 में मिनपा गांव से 42 वर्षीय पोड़ियाम भीमा को नक्सली बताकर गिरफ़्तार किया था. ग़लत पहचान का मामला तब सामने आया जब पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज इसी नाम के नक्सली ने मार्च 2022 में अपने छह साथियों के साथ दंतेवाड़ा कोर्ट में आत्मसमर्पण किया. अदालत ने मामले के जांच अधिकारी और दोषी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कथित माओवादी संबंधों को लेकर केरल के दो छात्रों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था. पुलिस और एनआईए का कहना था कि ये दोनों छात्र प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से जुड़े हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए से पूछा था कि ये 20 से 25 साल की उम्र के लड़के हैं. इनके पास से कुछ सामग्री मिली है. क्या किसी तरह के अनुमान के आधार पर उन्हें जेल में डाला जा सकता है?
छत्तीसगढ़ के बस्तर की एकमात्र आदिवासी महिला पत्रकार पुष्पा रोकड़े को 13 दिसंबर 2020 और 28 जनवरी 2021 को जान से मारने की धमकी मिली है. ये धमकियां कथित तौर पर माओवादी दक्षिण बस्तर पामेड एरिया समिति द्वारा दी गई हैं.
वीडियो: केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि नए कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग' के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि आंदोलन ज्यादातर वामपंथियों और माओवादियों के हाथ में चला गया है. इस मुद्दे पर डीयू के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
7 फरवरी को अबूझमाड़ के ताड़बल्ला में हुए एक कथित एनकाउंटर को ग्रामीण एक सुनियोजित हमला बता रहे हैं. उन्होंने मारे गए 10 युवाओं के शवों के क्षत-विक्षत होने और मृतक लड़कियों के साथ संभावित यौन शोषण की बात कही है.
झारखंड के गिरिडीह ज़िले में पुलिस द्वारा नक्सली बताकर मारे गए मोतीलाल बास्के की पत्नी पार्वती मुर्मू इंसाफ़ के लिए संघर्ष कर रही हैं.
झारखंड के गिरिडीह ज़िले में पुलिस ने जिस व्यक्ति को नक्सली बताकर मार डाला था, उसे निर्दोष बताते हुए आदिवासी और मज़दूर संगठन प्रदेश में आंदोलन कर रहे हैं.
झारखंड के गिरिडीह में मारे गए व्यक्ति को मज़दूर संगठन समिति व आदिवासी समाज ने बताया निर्दोष, नौ जून को हुई थी मुठभेड़.
सीपीआई नेता को पुलिस ने 15 दिन तक कोर्ट में पेश नहीं किया, पत्नी ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई तो पुलिस याचिका वापस लेने का दबाव बना रही है.