यह समय साहित्य को मुहलत देने का नहीं, उससे अधिक नैतिक, सक्रिय होने की अपेक्षा का है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: यह असाधारण समय है, भारतीय सभ्यता के संकट का क्षण है और इस समय साहित्य से कुछ कम की अपेक्षा रखना उसके महत्व और प्रभाव को कम आंकने जैसा होगा. 

महाराष्ट्र सरकार द्वारा कोबाड गांधी की किताब के मराठी अनुवाद को दिया सम्मान वापस लेने पर विवाद

महाराष्ट्र सरकार के मराठी भाषा विभाग ने छह दिसंबर को कोबाड गांधी की ‘फ्रैक्चर्ड फ्रीडम: अ प्रिज़न मेमॉयर’ के अनुवाद के लिए अनघा लेले को स्वर्गीय यशवंतराव चव्हाण साहित्य पुरस्कार देने की घोषणा की थी. इस फैसले को सरकार द्वारा पलटने के ख़िलाफ़ पुरस्कार चयन समिति के चार सदस्यों ने इस्तीफ़ा दे दिया है और कुछ मराठी लेखकों ने अपने पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है.