शिवसेना के शिंदे गुट ने संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत के साथ-साथ पार्टी के ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिह्न पर दावा किया था. साथ ही मांग की थी कि उद्धव ठाकरे समूह को इसका उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इसके बाद आयोग ने इस प्रतीक पर रोक लगा दी थी.