2012 में गुजरात हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि मेडिसिन और सर्जरी में बैचलर ऑफ आयुर्वेद की डिग्री रखने वाले डॉक्टरों को एमबीबीएस डॉक्टरों के बराबर माना जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द करते हुए कहा कि चिकित्सकों की यह दोनों श्रेणियां समान वेतन की हक़दार होने के लिए समान काम नहीं कर रही हैं.
मामले की सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कोविड-19 के संबंध में प्रशासन को कोई निर्देश नहीं देने जा रहे, प्रशासन को जिसकी भी ज़रूरत हो, वे ले सकते हैं और कोई यह नहीं कह सकता कि वे काम करने के इच्छुक नहीं है.