कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: बोलने वालों की संख्या के आधार पर हिंदी संसार की पांच बड़ी भाषाओं में एक है. पर ज्ञान, परिष्कार, विपुलता आदि के कोण से देखें तो तथ्य यह है कि हिंदी, चीनी या जापानी या कोरियाई की तरह ज्ञान-विज्ञान की भाषा नहीं है, न उस ओर अग्रसर ही है.
रविवार देर रात पूर्वी अगरतला थाने जा रहे पत्रकारों के एक समूह को कुछ लोगों द्वारा रोका गया और उनके साथ मारपीट और लूटपाट की गई. इसके ख़िलाफ़ पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन करने वाले पत्रकारों ने मीडियाकर्मियों की समुचित सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग की है.
पुस्तक समीक्षा: अर्थशास्त्री परकाला प्रभाकर की 'नए भारत की दीमक लगी शहतीरें: संकटग्रस्त गणराज्य पर आलेख' न केवल भारतीय लोकतंत्र के वर्तमान राजनीतिक-सामाजिक परिदृश्य का विश्लेषण करती है, बल्कि बताती है कि देश के लोकतांत्रिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए कौन से क़दम ज़रूरी हैं.
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड-19 के दौरान मीडिया संगठनों द्वारा पत्रकारों की छंटनी को लेकर उसके द्वारा गठित समिति के समक्ष पेश हुए 80 फीसदी पत्रकारों ने बताया कि उन पर इस्तीफे या वीआरएस का दबाव था या उन्हें सीधे नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया गया.
इलाहाबाद में हुए एक कार्यक्रम में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी को जनता की बात सुनकर जातिगत जनगणना करवानी ही होगी, अगर वह नहीं करेंगे तो अगले प्रधानमंत्री को कराते हुए देखेंगे.
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार बीते जुलाई माह में प्रसारण विधेयक का एक नया मसौदा लेकर आई थी, जिसे चुनिंदा लोगों को भेजा गया था. उक्त मसौदे में सोशल मीडिया पर नकेल कसने के प्रावधान थे, लेकिन अब सरकार ने वापस नवंबर 2023 वाले मसौदे पर सुझाव मांगे हैं.
कभी कभार | अशोक वाजपेयी: स्वतंत्रता के अर्थ में बदलते परिवेश और समय के अनुसार कई और अर्थ जुड़ते रहे. अगर आज विचार करें तो लगेगा कि इस समय का अर्थ प्रमुख रूप से यह है कि हम झूठ-नफ़रत-हिंसा की मानसिकता और राजनीति की ग़ुलामी करने से मुक्त रहें.
पुस्तक अंश: 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार के ऐतिहासिक फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात पर केंद्रित रोहिण कुमार की पुस्तक ‘लाल चौक’ का एक अंश.
मीडियाकर्मी संसद भवन के प्रवेश और निकास द्वार के पास सांसदों की टिप्पणियों को कैमरे पर तो रिकॉर्ड कर रहे हैं, लेकिन अब उन्हें उनके लिए बनाए गए एक घेरे तक ही सीमित कर दिया गया है. उन्हें उस 'मकर द्वार' से हटा दिया गया है, जहां वे सांसदों के साथ बातचीत किया करते थे.
प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2024 में ‘डिजिटल समाचार प्रसारकों’ की नई श्रेणी शामिल की गई है.
झारखंड के स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को माओवादियों से कथित संबंधों के आरोप में 17 जुलाई 2022 को गिरफ़्तार किया गया था. इन दो सालों में उन्होंने चार जेलों में समय बिताया है. पढ़िए उनके संघर्ष की कथा...
जम्मू कश्मीर के स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि अगर मीडिया अधिकारियों के खिलाफ 'झूठी शिकायतें' प्रकाशित करेगा तो उसे विज्ञापन देना बंद कर दिया जाएगा. इसके अलावा इसमें शामिल पत्रकार की मान्यता रद्द कर दी जाएगी.
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि यूपी सरकारी सेवक आचरण नियम, 1956 प्रिंट मीडिया और रेडियो से संबंधित है लेकिन वर्तमान समय में मीडिया के स्वरूपों का विस्तार हुआ है. समाचार चैनल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और समाचार पोर्टल आज मीडिया का हिस्सा हैं, इसलिए 1956 के नियम इन पर भी लागू होते हैं.
कारवां का कहना है कि 11 अगस्त 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में उनके तीन पत्रकारों पर भीड़ ने हमला किया था और उन्होंने इस बारे में पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी. अब पुलिस का कहना है कि उनकी एफआईआर के विरोध में एक 'काउंटर एफआईआर' भी दर्ज की गई थी, जिसे अब तक पत्रिका या पत्रकारों को नहीं दिखाया गया.
भाजपा को पूर्ण बहुमत न मिलना इस बात का संकेत है कि उसकी घृणा की राजनीति का वर्चस्व भारत में काफी कठिन है.