कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: भारत के साधारण वर्ग के नागरिक संवैधानिक अधिकार और पात्रता रखते हुए चुनाव नहीं लड़ सकते. हमने जो व्यवस्था बना ली है वह भारत की साधारणता को लोकतंत्र में कोई निर्णायक भूमिका निभाने से रोक रही है.
यूपी: दलित मार्च में भाग लेने पर जेल भेजे गए फ्रांसीसी निर्देशक साल भर की यातना के बाद अपने देश लौटे
फ्रांसीसी फिल्म निर्देशक वैलेंटिन हेनॉ पिछले साल तब गिरफ़्तार कर लिए गए थे, जब वह गोरखपुर में आयोजित 'आंबेडकर जन मार्च' में शामिल हुए थे. वे दलित महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों पर केंद्रित एक फिल्म पर काम करने के लिए भारत आए थे.
जम्मू-कश्मीर के पुरस्कार विजेता पत्रकार आसिफ़ सुल्तान को वर्ष 2018 में आतंकवादियों के साथ कथित संबंधों के आरोपों में पहली बार गिरफ़्तार किया गया था. लगभग 3 साल बाद 2022 में उन्हें ज़मानत मिली तो रिहा होने से पहले ही पीएसए के तहत फिर हिरासत में ले लिया गया. जब इस मामले में भी ज़मानत मिली तो एक अन्य मामले में गिरफ़्तार कर लिया गया था.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी अंचल इस समय भाजपा और हिंदुत्व के प्रभाव में है, लगभग चपेट में. इस दौरान सार्वजनिक व्यवहार में कुल पंद्रह क्रियाओं से ही काम चलता है. ये हैं: रोकना, दबाना, छीनना, लूटना, चिल्लाना, मिटाना, मारना, पीटना, भागना, डराना-धमकाना, ढहाना, तोड़ना-फोड़ना, छीनना, फुसलाना, भूलना-भुलाना.
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक जारी करते हुए मोदी राज में प्रेस की स्वतंत्रता को संकट में बताया. साथ ही, भारत में पत्रकारों के ख़िलाफ़ हो रही हिंसा और मीडिया उद्योग के कुछ लोगों के हाथों में सिमटते जाने को लेकर चिंता जताई.
कर्नाटक भाजपा से निष्कासित केएस ईश्वरप्पा के बेटे केई कंतेश ने स्थानीय अदालत से एक अस्थायी निषेधाज्ञा आदेश प्राप्त किया है, जो मीडिया को उनसे संबंधित किसी भी स्पष्ट चित्र या वीडियो प्रकाशित करने से रोकता है. वर्तनाम में यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे हासन सांसद प्रज्वल रेवन्ना ने भी 2023 में 86 मीडिया संस्थानों के ख़िलाफ़ इसी तरह का निषेधाज्ञा आदेश प्राप्त किया था.
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है कि अधिकांश मुख्यधारा का मीडिया महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर वाम दलों के रुख़ को छिपा रहा है, लेकिन दक्षिणपंथियों के ओछे आरोपों को भी 'पहले पन्ने' पर कवरेज देता है.
भोपाल से प्रकाशित बच्चों की मासिक पत्रिका 'चकमक' हिंदी की अब तक की इकलौती 'बाल विज्ञान पत्रिका' है. इसका एक स्तंभ है- 'क्यों क्यों '. इसमें बच्चों से हर महीने एक सवाल पूछा जाता है और अगले महीने उसके जवाब प्रकाशित किए जाते हैं.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी में पिछले लगभग पचास वर्षों से साहित्य को राजनीतिक-सामाजिक संदर्भों में पढ़ने-समझने की प्रथा लगभग रूढ़ हो गई है. ये संदर्भ साहित्य को समझने में सहायक होते हैं पर साहित्य को उन्हीं तक महदूद करना साहित्य की समग्रता से दूर जाना है.
तीन-चार अप्रैल की रात लगभग 1 बजे ‘बोलता हिंदुस्तान’ की टीम को ईमेल में कहा गया कि सरकार के निर्देश पर उनका चैनल ब्लॉक कर दिया गया है. टीम की ओर से सवाल किए जाने पर जवाब मिला कि कम्युनिटी गाइडलाइंस के उल्लंघन के चलते यह कार्रवाई हुई. हालांकि, कौन-सी गाइडलाइंस का उल्लंघन हुआ, यह नहीं बताया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार चुनाव शुरू होने के ऐलान के पहले सरकारी ख़र्चे से अपना प्रचार बड़े पैमाने पर कर चुकी थी. इस तरह वह पहले ही उस रेस में दौड़ना शुरू कर चुकी थी जहां विपक्षी दल इसके शुरू होने घोषणा का इंतज़ार कर रहे थे.
भारत में संचालित डिजिटल समाचार संगठनों के लिए नए नियमों के तहत 26 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा तय की गई है, जिसके चलते बीबीसी ने भारत में अपना न्यूज़रूम प्रकाशन लाइसेंस 'कलेक्टिव न्यूज़रूम' नामक निजी कंपनी को सौंप दिया, जिसे इसके ही चार पूर्व कर्मचारियों ने स्थापित किया है.
विदेशी फंडिंग प्राप्त करने के आरोप में बीते छह माह से जेल में बंद न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के समर्थन में एकजुटता व्यक्त करने के लिए राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यकर्म में विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और नागरिक समाज के लोगों ने मोदी सरकार पर असहमति की आवाज़ कुचलने और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के हनन का आरोप लगाया.
चुनाव के साफ़ सुथरा और निष्पक्ष होने में विपक्ष के अलावा जनता को दिलचस्पी होनी चाहिए. आशा की जाती है कि जब शासक दल निरंकुश होने लगे तो राज्य की बाक़ी संस्थाएं मिलकर जनतांत्रिक प्रक्रियाओं की हिफ़ाज़त करेंगी. लेकिन जान पड़ता है राज्य की सभी संस्थाओं ने भाजपा में अपना विलय कर दिया है.
साक्षात्कार: डाॅ. रामबहादुर वर्मा जाने-माने राजनीति विज्ञानी, लेखक व स्तंभकार हैं, जो राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीति के दो टूक विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं. 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र उनसे बातचीत.