मीडिया बोल की 62वीं कड़ी में उर्मिलेश मीडिया की आज़ादी पर पूर्व पत्रकार व आप नेता आशुतोष और वरिष्ठ पत्रकार नीरेंद्र नागर से चर्चा कर रहे हैं.
यह एक कठोर हक़ीक़त है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी को बचाए रखने वाले हर क़ानून के अपनी जगह पर होने के बावजूद समाचारपत्रों और टेलीविज़न चैनलों ने बिना प्रतिरोध के आत्मसमर्पण कर दिया है और ऊपर से आदेश लेना शुरू कर दिया है.
पतंजलि के प्रवक्ता ने एबीपी समाचार चैनल से विज्ञापन हटाने की बात स्वीकारते हुए वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी और मिलिंद खांडेकर के इस्तीफ़े में हाथ होने से इनकार किया.
विशेष: वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी बता रहे हैं कि न्यूज़ चैनलों पर नकेल कसने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भीतर बनाई गई 200 लोगों की ‘गुप्त फ़ौज’ क्या और कैसे काम करती है.
मीडिया संगठनों ने मीडिया मालिकों से सरकार के दबाव के सामने न झुकने का अनुरोध किया.
बेस्ट ऑफ 2018: अपने इस लेख में मास्टरस्ट्रोक कार्यक्रम के एंकर रहे पुण्य प्रसून बाजपेयी उन घटनाक्रमों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं जिनके चलते एबीपी न्यूज़ चैनल के प्रबंधन ने मोदी सरकार के आगे घुटने टेक दिए और उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा.
मीडिया बोल की 61वीं कड़ी में उर्मिलेश मंडल कमीशन के 25 साल और आरक्षण की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट के वकील डॉ. केएस चौहान और वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र पीएस से चर्चा कर रहे हैं.
सूत्रों के अनुसार चैनल में हुए इन बदलावों के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पिछले हफ्ते संसद भवन में कुछ पत्रकारों से कहते सुना गया था कि वे ‘एबीपी को सबक सिखाएंगे.’
मीडिया बोल की 60वीं कड़ी में उर्मिलेश बिहार में मुज़फ़्फ़रपुर के एक बालिका गृह में रह रहीं लड़कियों से बलात्कार के मामले पर हुई मीडिया कवरेज पर पत्रकार अलका रंजन और सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार शीतल प्रसाद सिंह से चर्चा कर रहे हैं.
अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन वह शहरी मध्यवर्ग, जो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सड़कों पर उतर आया था, वह इस हिंसा पर उदासीन बना हुआ है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि अखबारों को इनकी प्रसारण संख्या के दावों की पुष्टि के बाद ही विज्ञापन दिए जाते हैं. उनके प्रसारण दावों की भारतीय समाचार पत्र पंजीयक से जांच कराई है.
मीडिया बोल की 59वीं कड़ी में उर्मिलेश एक समाचार चैनल की बहस में हुई हाथापाई, स्वामी अग्निवेश पर हुए हमले और अविश्वास प्रस्ताव की मीडिया कवरेज पर वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार और वरिष्ठ पत्रकार शीबा असलम फ़हमी से चर्चा कर रहे हैं.
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि भारत में रह रहे विदेशी पत्रकारों को कश्मीर जाने के लिए 8 हफ्ते पहले आवेदन करना होगा. गृह मंत्रालय द्वारा दी जाएगी मंज़ूरी.
इंदौर पुलिस के अनुसार, दैनिक भास्कर अख़बार में कार्यरत रहीं महिला पत्रकार के मुंबई स्थित फ्लैट पर छापा मारा गया लेकिन वह नहीं मिलीं. नीमच में परिवार और रतलाम में उनकी बहन से पूछताछ जारी.
हाल ही में संपन्न हुए फुटबॉल विश्वकप से भारत को क्या सबक सीखना चाहिए? मीडिया बोल की 58वीं कड़ी में उर्मिलेश इस विषय पर नवभारत टाइम्स के सीनियर असिस्टेंट एडिटर चंद्र भूषण और वरिष्ठ पत्रकार बिराज स्वैन से चर्चा कर रहे हैं.