अमेरिकी संसद में भारत के मानवाधिकार कार्यकर्ता की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर फादर स्टेन स्वामी की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग संबंधी एक प्रस्ताव पेश किया गया. प्रस्ताव में मानवाधिकार रक्षकों और राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए आतंकवाद विरोधी क़ानूनों के दुरुपयोग पर भी चिंता व्यक्त की. एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार 84 साल के स्टेन स्वामी का पांच जुलाई 2021 को मेडिकल आधार पर ज़मानत का इंतज़ार करते हुए हिरासत में निधन हो गया था.
एल्गार परिषद मामले में यूएपीए के तहत अक्टूबर 2020 में गिरफ़्तार किए गए 84 वर्षीय आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का जुलाई 2021 में मेडिकल आधार पर ज़मानत का इंतज़ार करते हुए अस्पताल में निधन हो गया था. ज़मानत याचिका ख़ारिज किए जाने के विशेष अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ स्वामी ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसकी सुनवाई उनके गुज़रने के बाद हो रही है.
एल्गार परिषद मामले में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किए गए दिवंगत आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के सहयोगी फादर फ्रेजर मास्करेन्हास ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एनआईए द्वारा स्वामी पर लगाए गए आरोपों को हटाने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट को जांच का निर्देश देने की मांग की है.
एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार दिवंगत कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के वकीलों ने जमशेदपुर जेसुइट प्रोविंस की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट को पत्र लिखकर कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 21 मृत व्यक्तियों पर भी समान रूप से लागू होता है. जिस तरह अपीलकर्ता को जीवित रहते हुए अपना नाम बेदाग़ करने का अधिकार होता, यही समान हक़ उसके क़रीबियों का भी है.
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में यूएपीए के तहत पिछले साल आठ अक्टूबर को गिरफ़्तार किए गए 84 वर्षीय आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का निधन पांच जुलाई को मेडिकल आधार पर ज़मानत का इंतज़ार करते हुए अस्पताल में हो गया था. मेडिकल आधार पर ज़मानत याचिका ख़ारिज किए जाने के विशेष अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ स्वामी ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसकी अदालत उनके मरणोपरांत सुनवाई कर रही है.