मेरठ के मलियाना में 23 मई 1987 को दंगे भड़क गए थे, जिनमें 63 लोगों की मौत हुई थी. बीते अप्रैल महीने में मेरठ की एक अदालत ने 36 साल पुराने इस मामले में आगजनी, हत्या और दंगा करने के आरोपी 40 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था.
मलियाना दंगे और जयपुर विस्फोट मामले में अदालतों ने घटिया जांच और आपराधिक जांच प्रणाली में जवाबदेही की कमी की बात कही है. जहां राजस्थान में विपक्षी भाजपा के साथ कांग्रेस सरकार फैसले के ख़िलाफ़ अपील की बात कह रही है, वहीं मलियाना मामले में यूपी की भाजपा सरकार के साथ विपक्ष ने भी कोई ख़ास प्रतिक्रिया नहीं दी है.
वीडियो: मेरठ के मलियाना में 23 मई 1987 को दंगे भड़क गए थे, जिनमें 63 लोगों की मौत हुई थी. बीते दिनों मेरठ की एक अदालत ने सबूतों के अभाव में मामले के 40 आरोपियों को बरी कर दिया. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.
उत्तर प्रदेश के मेरठ के मलियाना में 23 मई 1987 को दंगे भड़क गए थे, जिनमें 63 लोगों की मौत हुई थी. एक स्थानीय नागरिक की शिकायत पर घटना के अगले दिन पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की थी. मामले में सुनवाई के लिए 800 से ज़्यादा तारीख़ें ली गईं. मुक़दमे में 74 गवाह थे, जिनमें से सिर्फ़ 25 ही बचे थे.