कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी (सीओटीयू) ने मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में कुकी-ज़ो समुदायों को आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति की मांग करते हुए दो राष्ट्रीय राजमार्गों एनएच-2 और एनएच-37 पर नाकाबंदी शुरू कर दी. एनएच-2 इंफाल को नगालैंड के दीमापुर से जोड़ता है और एनएच-37 जो इंफाल को असम के सिलचर से जोड़ता है.
घटना मणिपुर के उखरुल ज़िले के थोवई कुकी में शुक्रवार तड़के हुई. पुलिस ने कहा कि इस ज़िले ने राज्य के मेईतेई और कुकी-ज़ोमी समुदायों के बीच चल रही झड़पों में हिंसा नहीं देखी है. यह घटना राज्य में लगभग दो सप्ताह की अपेक्षाकृत शांति के बाद हुई है.
मणिपुर के 10 कुकी-ज़ोमी विधायकों, जिनमें भाजपा के आठ विधायक भी शामिल हैं, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया है कि इंफाल कुकी-ज़ोमी लोगों के लिए मौत और विनाश की घाटी बन गया है. विधायकों ने यह भी कहा है कि वे ‘व्यवस्थित जातीय सफाये’ के शिकार हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री से समुदाय के उचित पुनर्वास के लिए 500 करोड़ रुपये मंज़ूर करने की अपील की है.
मणिपुर सरकार ने सभी कर्मचारियों को ‘अलगाववादी, राष्ट्र-विरोधी, सांप्रदायिक और विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने वाले’ सोशल मीडिया समूहों से बाहर निकलने का एक साल पुराना आदेश फिर से जारी किया है. चेतावनी दी गई है कि हिंसाग्रस्त राज्य में अशांति फैलाने की कोशिश करने वाली किसी भी चीज़ से जुड़े पाए जाने पर उनके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि नौ और मामलों की जांच के साथ सीबीआई द्वारा जांच किए जा रहे मामलों की कुल संख्या 17 हो जाएगी. महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध या यौन उत्पीड़न से संबंधित किसी अन्य मामले को भी प्राथमिकता के आधार पर एजेंसी को भेजा जा सकता है.
मणिपुर में तीन महीने से जारी हिंसा के बीच मणिपुर सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सदस्य कुकी पीपुल्स अलायंस ने घोषणा की है कि वह एन. बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले रही है. मणिपुर सरकार में पार्टी के दो विधायक शामिल हैं.
बिष्णुपुर ज़िले के कांगवई और फौगाकचाओ इलाके में गुरुवार को हुई झड़प के बाद सेना और आरएएफ जवानों ने आंसू गैस के गोले दागे, जिसमें 19 लोग घायल हो गए. वहीं, ज़िले के नारानसैना में भीड़ ने भारतीय रिज़र्व बटालियन शिविर पर हमला करने के बाद बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद लूट लिया.
मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी जातीय हिंसा के दौरान 4 मई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र घुमाने के साथ इनमें से एक से सामूहिक बलात्कार किया गया था. इनमें से एक महिला के 65 वर्षीय पति, जो करगिल युद्ध का हिस्सा थे, ने कहा कि कार्रवाई वीडियो से बहुत पहले की जानी चाहिए थी, लेकिन हमारी बात पर किसी ने भी विश्वास नहीं किया.
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जातीय हिंसा से निपटने के लिए क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों और सरकार के तौर-तरीकों पर कड़ा रुख़ अपनाते हुए पुलिस जांच को ‘सुस्त’ बताया. कोर्ट ने मणिपुर के पुलिस महानिदेशक को 4 अगस्त को अदालत में पेश होने के लिए कहा है.
बीते सप्ताह द वायर के रिपोर्टर याक़ूत अली मणिपुर के बिष्णुपुर ज़िले पहुंचे थे, जहां रात को स्थानीय मेईतेई लोगों से बातचीत के दौरान फायरिंग में एक गोली उनके पास से गुज़र गई.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ मणिपुर में जातीय हिंसा फैलने के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कुकी जनजाति की दो महिलाओं की याचिका भी शामिल थी, जिन्हें पुरुषों की भीड़ ने नग्न करके घुमाया था. पीठ ने सरकार से पूछा कि घटना 4 मई की थी और ज़ीरो एफ़आईआर 18 मई को दर्ज हुई. पुलिस को इसे दर्ज करने में 14 दिन क्यों लगे?
एक कार्यक्रम के दौरान मणिपुर हिंसा को लेकर भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख सेवानिवृत्त जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि इसमें विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता को ख़ारिज नहीं किया जा सकता है, बल्कि मैं कहूंगा कि यह निश्चित रूप से है. विभिन्न उग्रवादी समूहों को कथित तौर पर चीन की ओर सहायता कई वर्षों से जारी है.
वीडियो: मणिपुर में बीते 3 मई से जारी जातीय हिंसा के दौरान तमाम ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें अपने परिवार के सदस्यों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. ऐसे लोगों से द वायर की टीम ने बातचीत की.
मणिपुर हिंसा में जान गंवाने वालों में कुकी लोगों की संख्या दो तिहाई, 181 मृतक में 113 कुकी: रिपोर्ट
एक मीडिया रिपोर्ट में सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण करके बताया गया है कि मणिपुर में बीते 3 मई से शुरू हुई जातीय हिंसा में 181 लोग मारे गए हैं, जिनमें कुकी लोगों की संख्या 113 है, जबकि मेईतेई समुदाय के मृतकों की संख्या 62 है. मई की शुरुआत में हिंसा के पहले सप्ताह में 10 मेईतेई लोगों की तुलना में 77 कुकी लोग मारे गए थे.
राहुल गांधी ने कहा कि जब देश को चोट लगती है, किसी नागरिक को चोट लगती है तो आपके दिल को भी चोट लगती है, मगर भाजपा-आरएसएस के लोगों को कोई दुख नहीं, क्योंकि ये हिंदुस्तान को बांटने का काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर से कुछ लेना-देना नहीं है. वो जानते हैं कि उनकी ही विचारधारा ने मणिपुर को जलाया है.