मणिपुर हिंसा: अपेक्षाकृत शांत रहे उखरुल ज़िले में तीन लोगों की हत्या

घटना मणिपुर के उखरुल ज़िले के थोवई कुकी में शुक्रवार तड़के हुई. पुलिस ने कहा कि इस ज़िले ने राज्य के मेईतेई और कुकी-ज़ोमी समुदायों के बीच चल रही झड़पों में हिंसा नहीं देखी है. यह घटना राज्य में लगभग दो सप्ताह की अपेक्षाकृत शांति के बाद हुई है.

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(फाइल फोटो: द वायर)

घटना मणिपुर के उखरुल ज़िले के थोवई कुकी में शुक्रवार तड़के हुई. पुलिस ने कहा कि इस ज़िले ने राज्य के मेईतेई और कुकी-ज़ोमी समुदायों के बीच चल रही झड़पों में हिंसा नहीं देखी है. यह घटना राज्य में लगभग दो सप्ताह की अपेक्षाकृत शांति के बाद हुई है.

(फाइल फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: मणिपुर में ताजा हिंसा में तांगखुल नगा-बहुल उखरुल जिले के एक गांव में शुक्रवार (18 अगस्त) सुबह तीन लोगों की हत्या कर दी गई. यह जिला राज्य में चल रहे जातीय संघर्ष के दौरान अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहा है.

पुलिस ने बताया कि यह घटना थोवई कुकी गांव में सुबह करीब 4:30 बजे हुई. मारे गए तीन लोगों की पहचान थांगखोकाई हाओकिप (35 वर्ष), जामखोगिन हाओकिप (26 वर्ष) और हॉलेंसन बाइट (24 वर्ष) के रूप में हुई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, थोवई कुकी गांव उखरुल पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है, जहां तांगखुल नगा जातीय समूह बहुमत में हैं. हालांकि यह गांव पड़ोसी मेईतेई-प्रभुत्व वाले इंफाल पूर्वी जिले की सीमा पर स्थित नहीं है, लेकिन यह उससे बहुत दूर भी नहीं है. इंफाल पूर्व में यिंगनपोकपी, जिसके आसपास के क्षेत्र में काफी अशांति और गोलीबारी देखी गई है, यहां से 10 किलोमीटर दूर है.

स्थानीय निवासियों के अनुसार, मारे गए तीन व्यक्ति रात में गांव की सुरक्षा ड्यूटी पर थे और गांव के बाहर समुदाय द्वारा बनाए गए बंकर में तैनात थे.

उखरुल के पुलिस अधीक्षक (एसपी) निंगशेम वाशुम ने कहा, ‘यह घटना राज्य में चल रही जातीय समस्या से संबंधित है. कुछ हथियारबंद बदमाश इलाके में घुस आए और गांव की रखवाली कर रहे इन तीन लोगों को गोली मार दी. इलाके में गोलीबारी बंद हो गई है और सेना और पुलिस सहित सुरक्षा बल वहां पहुंच गए हैं.’

उन्होंने कहा कि चूंकि गांव सुदूर स्थान पर है, निकटतम सुरक्षा चौकी लगभग 3 किलोमीटर दूर है, जिसके कारण उस समय सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं थे.

एक रक्षा सूत्र ने कहा, ‘घटना सुबह-सुबह हुई. संदेह है कि इस घटना के पीछे घाटी स्थित विद्रोही समूह हैं. इसके बाद क्षेत्र को सुरक्षा बलों ने अपने नियंत्रण ले लिया है और क्षेत्र में स्थिति का जायजा ले रहे हैं.’

घटना के बाद पुरुष गांव की सुरक्षा के लिए रह गए हैं, जबकि महिलाओं और बच्चों को पास के अन्य कुकी गांवों में ले जाया गया है.

पुलिस ने कहा कि उखरुल जिले ने राज्य के मेईतेई और कुकी-ज़ोमी समुदायों के बीच चल रही झड़पों में हिंसा नहीं देखी है. यह घटना राज्य में लगभग दो सप्ताह की अपेक्षाकृत शांति के बाद हुई है.

कुकी छात्र संगठन की उखरुल जिला इकाई के अध्यक्ष हेगिन किपगेन ने कहा, ‘इस क्षेत्र में अब तक कोई हिंसा नहीं हुई है, इसलिए किसी ने नहीं सोचा था कि ऐसा हो सकता है. इस क्षेत्र में लगभग 15 कुकी गांव हैं, लेकिन बाकी एक सघन क्षेत्र में एक-दूसरे के बहुत करीब हैं, यह एक छोटा सा रास्ता है. यहां की महिलाएं और बच्चे अब दूसरे कुकी गांवों में चले गए हैं.’

राज्य में जारी हिंसा में सबसे बुरी तरह प्रभावित जिले मेईतेई बहुल बिष्णुपुर, इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व और काकचिंग और कुकी-ज़ोमी प्रभुत्व वाले चुराचांदपुर और कांगपोकपी हैं.

उल्लेखनीय है कि मणिपुर में बीते 3 मई को जातीय हिंसा बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के कारण भड़की थी, जिसे पहाड़ी जनजातियां अपने अधिकारों पर अतिक्रमण के रूप में देखती हैं.

अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा बीते जुलाई महीने में जारी आंकड़ों के अनुसार, तीन मई को राज्य में पहली बार कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा के बाद से 181 लोग मारे गए हैं, जिनमें कुकी लोगों की संख्या 113 है, जबकि मेईतेई समुदाय के मृतकों की संख्या 62 है. बताया गया है कि अब तक राज्य से 50,000 के करीब लोग विस्थापित हुए हैं.