बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदिवासी क्षेत्र मेलघाट में कुपोषण और चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव के चलते हो रही महिलाओं और बच्चों की मौत के संबंध में जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि हमें पता चला है कि लड़कियों की शादी 12-13 वर्ष की उम्र में कराई जा रही है, वे 15 और 16 साल की उम्र में बच्चों को जन्म दे रही हैं और यही एक कारण है जिससे माताओं और उनके बच्चों की मौत हो रही है.
बॉम्बे हाईकोर्ट 2007 में दायर की गईं कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अमरावती ज़िले के मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण के कारण बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की मौतों की अधिक संख्या को उजागर किया गया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट 2007 में महाराष्ट्र के अमरावती ज़िले के मेलघाट क्षेत्र में मुख्य रूप से कुपोषण के कारण बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की बड़ी संख्या में मौतों को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर यह टिप्पणी की. इससे पहले अदालत ने कहा था कि आदिवासी समुदायों के लिए कल्याणकारी योजनाएं केवल काग़ज़ पर हैं. कुपोषण से बच्चों की मृत्यु रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार क्या कदम उठा रही है.
बॉम्बे हाईकोर्ट 2007 में दाख़िल एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अमरावती ज़िले के मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण की वजह से बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं की बड़ी संख्या में मृत्यु के मामलों को रेखांकित किया गया था. याचिका के अनुसार, इलाके में इस साल अगस्त से सितंबर के बीच कुपोषण तथा डॉक्टरों की कमी की वजह से 40 बच्चों की मौत हुई और 24 बच्चे मृत जन्मे.