सरकार संचालित मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों की हालत अमानवीय और चिंताजनक: मानवाधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने देश के 46 मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम के अमल को जांचने के लिए दौरा किया था. इसमें सामने आया कि इन संस्थानों में मरीज़ों को ठीक होने के बाद भी रखा जा रहा था और उनके परिवारों से मिलाने या फिर समाज से जोड़ने का कोई प्रयास नहीं किया गया.

मृत्युदंड पाए 62.2 प्रतिशत कै़दी कम से कम एक मानसिक रोग से पीड़ित: अध्ययन

दिल्ली के राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में आपराधिक न्याय कार्यक्रम ‘प्रोजेक्ट 39ए’ ने छत्तीसगढ़, दिल्ली, कर्नाटक, केरल और मध्य प्रदेश में मौत की सजा पाए 88 कै़दियों और उनके परिवारों पर अध्ययन किया. रिपोर्ट में कहा गया कि मृत्युदंड पाए जिन कै़दियों का साक्षात्कार किया गया उनमें से बहुत बड़ी संख्या में कै़दी मानसिक रोग से पीड़ित थे और 11 प्रतिशत बौद्धिक अक्षमता के शिकार थे.

मानसिक बीमारी से जूझ रहे शख़्स को शारीरिक बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के समान माना जाए

मनोरोग से ग्रसित एक शिकायतकर्ता ने द ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से ली गई एक पॉलिसी के तहत मेडिकल क्लेम के लिए आवेदन किया था, लेकिन बीमा कंपनी ने उनके दावे को ख़ारिज कर दिया था. इसके बाद शिकायतकर्ता ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अपील की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक रोगियों के इलाज संबंधी बीमा को लेकर केंद्र और इरडा को नोटिस भेजे

याचिका में कहा गया है कि बीमा कंपनियां मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम 2007 की धारा 21(4) का उल्लंघन कर रही हैं, जिसके तहत हर बीमाकर्ता को शारीरिक बीमारियों के इलाज के आधार पर ही मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए प्रावधान बनाना अनिवार्य है.

कोरोना: महामारी के दौर में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी ज़रूरी है

संक्रामक रोगों का सभी पर एक गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है, उन पर भी जो वायरस से प्रभावित नहीं हैं. इन बीमारियों को लेकर हमारी प्रतिक्रिया मेडिकल ज्ञान पर आधारित न होकर हमारी सामाजिक समझ से भी संचालित होती है.