मेटा ने द वायर द्वारा सार्वजनिक किए गए सबूतों के बारे में बेबुनियाद दावे किए हैं, शायद इस उम्मीद में कि हम आगे की जानकारी को खोजने और प्रकाशित करने के लिए बाध्य महसूस करेंगे जिससे वे और आसानी से स्रोत के बारे में जान सकें. पर हम इस खेल को खेलने के लिए तैयार नहीं हैं.
एक्सक्लूसिव: भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय के मेटा के विशिष्ट 'क्रॉसचेक' प्रोग्राम में शामिल होने को लेकर की गईं द वायर की रिपोर्ट्स को लेकर मेटा द्वारा जारी किए गए बयान में हम पर कई सवाल उठाए गए हैं. द वायर ने इन सभी सवालों का उचित सबूतों के साथ जवाब दिया है.
एक्सक्लूसिव: इंस्टाग्राम ने @cringearchivist नाम के एकाउंट की सात पोस्ट वेरिफिकेशन के बिना सिर्फ़ इसलिए हटाईं, क्योंकि मेटा के विवादित ‘क्रॉसचेक प्रोग्राम’ के तहत विशेषाधिकार प्राप्त भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इसे रिपोर्ट किया था. अब मेटा ने क्रॉसचेक लिस्ट की बात को ‘मनगढ़ंत’ बताया है.
एक्सक्लूसिव: इंस्टाग्राम ने @cringearchivist नाम के एकाउंट की सात पोस्ट्स को बिना कोई वेरिफिकेशन किए सिर्फ इस कारण से हटा दिया क्योंकि इसे भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने रिपोर्ट किया था, जिन्हें मेटा के विवादित 'क्रॉसचेक प्रोग्राम' के तहत विशेषाधिकार प्राप्त हैं.
इंस्टाग्राम ने @cringearchivist नाम के एकाउंट द्वारा साझा की गई जिस व्यंग्यात्मक पोस्ट को 'नग्नता और यौन गतिविधि' संबंधी दिशानिर्देशों के उल्लंघन का हवाला देते हुए हटाया है, उसमें अयोध्या में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मंदिर बनाने वाले प्रभाकर मौर्य आदित्यनाथ की प्रतिमा की आरती करते नज़र आ रहे हैं.
फेसबुक के अलावा मेटा के स्वामित्व वाले सोशल मीडिया मंच इंस्टाग्राम ने समान अवधि के दौरान 12 श्रेणियों में क़रीब 41 लाख सामग्रियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की. मेटा के स्वामित्व वाले वॉट्सऐप की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि प्राप्त शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए मई में 19 लाख से अधिक भारतीय एकाउंट पर रोक लगाई गई.
मेटा द्वारा 31 मई को जारी रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक ने अप्रैल में नफ़रत फैलाने वाली 53,200 पोस्ट का पता लगाया, जो मार्च की ऐसी 38,600 पोस्ट की तुलना में 82 प्रतिशत अधिक है. इंस्टाग्राम ने अप्रैल में 77,000 हिंसक और उकसावे वाली सामग्रियों पर कार्रवाई की. यह आंकड़ा मार्च में 41,300 था.
फीस लेकर जासूसी सेवाएं देने वाली ये कंपनियां इंटरनेट पर लोगों की ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने और उनकी डिवाइस व एकाउंट में सेंध लगाने का काम करती थीं. सौ देशों में अपने ग्राहकों के लिए इनके निशाने पर नेता, चुनाव अधिकारी, मानवाधिकार कार्यकर्ता और मशहूर हस्तियां थे. इनमें एक भारतीय फर्म भी शामिल है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में फेसबुक पर हेट स्पीच और ध्रुवीकरण को लेकर कंपनी के स्टाफ ने 2018 से 2020 के दौरान कई बार चिंता जताई थी. कर्मचारियों के अलर्ट के बावजूद फेसबुक के तत्कालीन उपाध्यक्ष क्रिस कॉक्स की 2019 में हुई आंतरिक समीक्षा बैठक में इन्हें कोई तवज्जो नहीं दी गई.
यह घोषणा ऐसे समय पर आई है जब ‘फेसबुक पेपर्स’ के तहत विभिन्न खुलासे के बाद इसे दुनिया के कई हिस्सों में विधायी और नियामक जांच का सामना करना पड़ रहा है. इन खुलासों में यह भी पता चला है कि फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान वॉट्सऐप पर ‘हिंसा के लिए उकसाने और अफ़वाहों’ भरे मैसेजेस की बाढ़ आई गई थी और फेसबुक को स्पष्ट रूप से ये जानकारी थी.