कुशीनगर के जंगल खिरकिया गांव के रहने वाले शैलेश माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के क़र्ज़ में फंसे थे. उनकी पत्नी ने सिलाई मशीन लेकर कपड़े सिलकर गुजर-बसर करने की कोशिश भी की, पर क़र्ज़ की क़िस्त जमा न करने पर माइक्रोफाइनेंस कंपनी का एजेंट सिलाई मशीन ही उठा ले गया.
कुशीनगर के लक्ष्मीना और हरेश ने उनके नवजात शिशु को अस्पताल से 'छुड़ाने' के लिए क़रीब ढाई साल के बेटे राजा को बेच दिया था. उसके वापस मिल जाने से वे ख़ुश तो हैं लेकिन भविष्य की चिंता उनके चेहरे पर है. उन्हें नहीं मालूम कि वे अपनी संतानों का पालन-पोषण कैसे करेंगे.
बीते हफ्ते कुशीनगर ज़िले के सेवरही क्षेत्र के मिश्रौली गांव की एक 30 वर्षीय आरती ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के एजेंट द्वारा क़र्ज़ वसूली के लिए किए जा रहे उत्पीड़न से आजिज़ आकर ज़हर खा लिया, जिसके बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई. गांव में ऐसी कंपनी के ऋणजाल में फंसने वाली आरती अकेली नहीं हैं.